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‘पहले किसान कानून वापस लो, फिर लगवाएंगे कोरोना वैक्सीन’, बोले दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान

भारत में कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव (Covid Vaccination drive) शुरू होने के ठीक एक दिन बाद दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा कि जबतक सरकार तीनों किसान कानून वापस नहीं ले लेती तब तक वे अपने गृह राज्यों में वैक्सीन (Vaccine) लगवाने नहीं जाएंगे. दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर राहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी को आउटर रिंग रोड पर ट्रेक्टर रैली (Tractor rally) का ऐलान किया है. रविवार को किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी.

किसान नेताओं ने कहा कि परेड शांतिपूर्वक की जाएगी. साथ ही कहा कि 26 जनवरी के आधिकारिक कार्यक्रम को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया जाएगा और न ही कोई उकसावे वाली भाषणबाजी होगी. किसान नेता ने बताया कि सभी ट्रैक्टरों पर देश का झंडा भी लगाया जाएगा. किसानों ने कहा कि वे दिल्ली और हरियाणा पुलिस से रैली में सहयोग की अपील करेंगे.

किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि किसी भी हेरिटेज साइट या किसी अन्य स्थान को कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही परेड में शामिल वाहनों में झांकियां होंगी जो अलग-अलग राज्यों की कृषि वास्तविकता को दर्शाएंगी. झांकियों में ऐतिहासिक क्षेत्रीय और अन्य आंदोलनों को भी दिखाया जाएगा. दर्शन पाल ने ये भी बताया कि किसान ट्रैक्टर रैली का राजनीतिकरण नहीं होगा. इसलिए किसी भी राजनीतिक पार्टी के झंडे की अनुमति नहीं दी जाएगी.

वैक्सीन के लिए गांव लौटने से किसानों का इनकार

कोविड वैक्सीनेशन के पहले चरण में प्राथमिकता के आधार पर, स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स के बाद बुजुर्गों को ही वैक्सीन लगनी है. दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हैं. जिनको वैक्सीनेशन कार्यक्रम के हिसाब से पहले चरण में अभी वैक्सीन लगनी है. ऐसे में आंदोलन में शामिल कई किसानों ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाने के लिए अपने गांव तबतक नहीं जाएंगे जबतक तीनों किसान कानून रद्द नहीं किए जाते. आंदोलन में शामिल फ़िरोज़पुर के एक किसान बलप्रीत सिंह (26) ने कहा “हम वैक्सीन का क्या करेंगे अगर किसान कानूनों की वजह से अपनी जमीन और घर खो देंगे.”

16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुवात की थी. भारत में लगभग दो लाख से ज्यादा फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वास्थ्यकर्मियों और सफाईकर्मियों को टीके की पहली खुराक दी गई.

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