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अमेरिका की कैपिटल हिल हिंसा पर कुमार विश्वास बोले- अंधभक्तों की फौज से सबक लेना होगा

अमेरिका के कैपिटल हिल में ट्रंप समर्थकों की हिंसा को लेकर हर तरफ निंदा हो रही है। अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले कवि कुमार विश्वास ने कहा है कि अंधभक्तों की फौज से सबक लेना होगा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘वर्चस्ववादी, आत्ममुग्ध और “बस मैं ही मैं” गाने-कहने-जीने वाले नायकों के अंधे तर्कशून्य अनुयायी, किसी उन्नततम देश तक को किस गर्त में ले जा सकते हैं यूएस कैपिटल इसका ताज़ा सबूत है। विश्वभर के देशों, सभ्य नागरिकों को इस घटना, इसके नमूने-नियामक व उसके अंधभक्तों की फ़ौज से सबक़ लेना होगा।’

वर्चस्ववादी,आत्ममुग्ध और “बस मैं ही मैं” गाने-कहने-जीने वाले नायकों के अंधे तर्कशून्य अनुयायी,किसी उन्नततम देश तक को किस गर्त में ले जा सकते हैं #USCapitol इसका ताज़ा सबूत है

विश्वभर के देशों,सभ्य नागरिकों को इस घटना,इसके नमूने-नियामक व उसके अंधभक्तों की फ़ौज से सबक़ लेना होगा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी गुरुवार को अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और पुलिस के बीच बुधवार को हुई हिंसक झड़प पर चिंता व्यक्त की और कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों से बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर अमेरिका में सत्ता के सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण की प्रक्रिया को जारी रखने का आह्वान भी किया।

मोदी का यह बयान ट्रंप के हजारों समर्थकों के कैपिटल परिसर में घुसने और पुलिस के साथ उनकी हिंसक झड़प के बाद आया। इन घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। साथ ही नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाधित हुई।

मोदी ने कहा, ”वाशिंगटन डीसी में हिंसा और दंगे की खबरों से चिंतित हूं। सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण जारी रहना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिए बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल परिसर में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य बैठते हैं। प्रदर्शन के दौरान वहां चर्चा जारी थी और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की चुनावी जीत की पुष्टि की जानी थी।

ट्रंप के समर्थक कैपिटल में चल रही बहस के बीच में सीनेट चेंबर तक पहुंच गए थे। पुलिस को इन प्रदर्शनकारियों को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इन हालात में प्रतिनिधि सभा और सीनेट तथा पूरे कैपिटल को बंद कर दिया गया। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और सांसदों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

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