रायगढ़ । जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के अध्यक्ष रमाशंकर प्रसाद एवं पुलिस अधीक्षक रायगढ़ संतोष सिंह के संयुक्त तत्वाधान में नालसा (तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीडि़तों के लिये विधिक सेवाए) योजना 2015 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के संंबंध में गत 27 दिसम्बर 2020 को जनपद पंचायत धरमजयगढ़ में कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यक्रम दो चरणों में सम्पादित की गई। कार्यशाला के प्रथम चरण का शुभारम्भ दोपहर 12.00 बजे किया गया। कार्यक्रम में नालसा का थीम सॉन्ग के साथ दीप प्रज्जवलन जिला न्यायाधीश रमांशकर प्रसाद एवं पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार आहूजा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगणों का जिला महिला संरक्षण अधिकारी, पुलिस निरीक्षक, प्राचार्य एवं ग्राम पंचायत के सरंपच द्वारा पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया तथा धरमजयगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती निधि शर्मा के द्वारा उपस्थितों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में यह बताया कि ऐसा नहीं है कि मानव तस्करी पर कार्य नहीं किया जा रहा है, बहुत समय से इस पर बड़े स्तर पर कार्य हो रहा है। जिसमें बाल विकास विभाग की ओर से जमीनी स्तर पर कार्य किया जा रहा है, किन्तु न्यायालय में आज भी बहुत से मामले पेन्डिग हैं। इसलिये आज हम सभी लोग इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने के लिये एकत्रित हुए हैं।
कार्यशाला में जिला न्यायाधीश रमाशंकर प्रसाद द्वारा बालकों के द्वारा किये जाने वाले अपराध पर विस्तृत चर्चा करते हुए यह बताया कि हमारे समक्ष कोई भी घटना घटित होती है, तो उसे नजर-अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। जिला न्यायाधीश द्वारा बालकों के संबंध में दर्ज की जाने वाली प्राथमिकी, बच्चों की सामाजिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट तैयार कर बोर्ड के समक्ष पेश किये जाने की प्रक्रिया, अपराध की स्वीकृति करने के लिये बालक पर दबाव नहीं डाला जाना, बालकों के साथ कोई दुव्र्यवहार न किया जाना, बालकों से पूछताछ के समय अच्छा माहौल रखा जाना, पूछताछ के दौरान माता-पिता अथवा बालक की ओर से संरक्षक की उपस्थिति की अनिवार्यता के विषय में बताया। रमाशंकर प्रसाद द्वारा मानव तस्करी के मामलों में पुलिस प्रशासन को विवेचना के दौरान आने वाले कठिनाईयों एवं पुलिस और स्वयंसेवी संस्थान की आपसी सामंजस्यता तथा न्यायालय से इन मामलों के संबंध में रखी जाने वाली अपेक्षाओं के बारे में बारीकी से चर्चा की गई।
पुलिस प्रशासन की ओर से पुलिस अधीक्षक श्री संतोष सिंह के द्वारा बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण तथा नियमों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि मानव तस्करी के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है। धरमजयगढ़, कापू एवं लैलूॅगा क्षेत्र मानव तस्करी के मामले में अव्वल देखा जाता है। इसकी रोकथाम के प्रयास नाकाम रहे हैं, इसमें प्रभावी तरीके से रोक नहीं लग पा रही है। इसे एक-दूसरे की मदद से जड़ से समाप्त किया जा सकता है। महिलाओं और बच्चों की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। आंकड़ो के अनुसार हर आठ महिने में एक बच्चा गुम होता है। इसके लिये निगरानी तंत्र बनाना एवं लोगों में सामाजिक जागरूकता लाना जरूरी है। चूंकि धरमजयगढ़ क्षेत्र में मानव तस्करी के अपराध ज्यादा घटित होते हैं, इसलिये आज की यह कार्यशाला धरमजयगढ़ क्षेत्र में रखी गई है। इस कार्यशाला में महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े बहुत से विषय रखे गये हैं। जिन गंभीर विषयों पर आज परिचर्चा की जाएगी।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में नाबालिग बच्चों से संबंधित अपराधों के विषयों पर प्रोजेक्टर के माध्यम से नालसा के शार्ट फिल्म को दिखलाया गया तथा द्वितीय चरण में रखे गये विषय नालसा (तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण पीडि़तों के लिये विधिक सेवाएॅ) योजना 2015 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर परिचर्चा हुई।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिला महिला संरक्षण अधिकारी श्रीमती चैताली राय विश्वास के द्वारा मानव तस्करी की रोकथाम हेतु जिला स्तर पर गठित समिति एवं उनके विभाग द्वारा प्रिन्ट पाम्पलेट्स एवं टोल फ्री नम्बर की जानकारी दी गई तथा संबंधित मामले में सहयोग प्रदान करने की अपील करते हुए पीडि़ता एवं जानकारी देने वाले व्यक्ति के नाम की गोपनीयता रखे जाने के बारे में बताया गया। सरपंच एवं कोटवार की भूमिका बताते हुए, उनके माध्यम से जन-चेतना एवं जागरूकता लाये जाने हेतु कहा गया तथा रजिस्टर मेन्टेन करने की अनिवार्यता पर बल दिया गया। अनुसंधान अधिकारी थाना तमनार श्रीमती किरण गुप्ता के द्वारा मानव तस्करी एवं बच्चों से संबंधित प्रकरणों के अनुसंधान में आने वाली चुनौतियों के संबंध में जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री दीपक डनसेना भी उपस्थित रहे।
न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार आहूजा के द्वारा किशोरों से संबंधित अपराधों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में नि:शुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने की जानकारी दी गई। विशेष तौर पर पाक्सो के मामलों की सुनवाई हेतु पदस्थ न्यायाधीश श्रीमती पल्लवी तिवारी द्वारा भी लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर विस्तार से जानकारी दी गई।
स्वयं सेवी संस्थान से सामाजिक कार्यकर्ता श्री सिद्धान्त शंकर मोहन्ती एवं श्रीमती मिनती मालाकार उपस्थित रहे। उनके विभाग द्वारा जमीनी स्तर पर मानव तस्करी एवं बालकों से संबंधित मामलों के संबंध में किये जा रहे कार्यों पर परिचर्चा की गई तथा उक्त विषय के संबंध में प्राप्त अनुभवों को साझा किया गया। शिक्षा विभाग की ओर से धरमजयगढ़ के खण्ड शिक्षा अधिकारी सहित प्राचार्य, शिक्षक एवं स्कूली विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। शिक्षा विभाग से उपस्थित प्रतिनिधि प्राचार्य के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर आयोजित शिविरों एवं कार्यशाला से बच्चों में आई जागरूकता के विषय में बताया तथा प्राधिकरण द्वारा आगे और भी ऐसी कार्यशाला एवं शिविर आयोजित किये जाने की अपील की।
द्वितीय चरण के समापन में आभार प्रदर्शन धरमजयगढ़ क्षेत्र के एस.डी.ओ.पी. सुशील नायक के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में न्यायिक अधिकारीगण सहित पुलिस प्रशासन के पदाधिकारीगण, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारीगण, समाज कल्याण विभाग से सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्तागण, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधिगण, स्कूली बच्चे, जनपद पंचायत विभाग के अधिकारीगण एवं संबंधित क्षेत्र के पंच, सरंपच, मितानिन, कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं जनसामान्य उपस्थित रहे।