SP संतोष सिंह पुलिस चौकी खरसिया देर रात किए औचक निरीक्षण…
सकारात्मक छवि रायगढ़ पुलिस का नया युग
रायगढ़ जिलें में तैनात पुलिस की वर्किंग और सुधारों को नए नजरिए से देख रहे हैं। संतोष है तों सम्भव है यूँ हीं नहीं …
वर्दी का मानवीय अभियान- “संवेदना” कैंपेन…संतोष है तों सम्भव है …
सबों ने इस विषमपरिस्थियों में कुछ न कुछ किया हमारी टीम की ओर से सहज सरल व्यक्तित्व के धनी दीन-दुखियों के तसल्ली भरी संतोष मुस्कान को सलाम…🖋️🙏🏻
वर्दी का मानवीय अभियान- “संवेदना” कैंपेन…संतोष है तों सम्भव है …
आमद से खाखी के प्रति फैली मान्यताएं अवधारणाएं आहत तों हुई होगी… http://thedehati.com/?p=12975
सकारात्मक छवि पुलिस में एक नए युग के सृजन का प्रतीक है। जो पुलिस कर्मियों को किसी भी कीमत पर धूमिल नहीं होने देना चाहिए…
रायगढ़ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने खरसिया पुलिस चौकी का किया देर रात औचक निरीक्षण
पुलिस अधीक्षक रायगढ़ संतोष सिंह देर रात खरसिया नगर गोपनीय रुप से पहुँच क्राइम मीटिंग के निर्देशोका पालन नगर के गली मोहल्लो सड़कों पर नाईट पेट्रोलिंग का औचक निरीक्षण किए
वगैर सूचना के चौकी पहुचने के बाद चौकी प्रभारी सुमत राम साहू, थाना प्रभारी प्रशिक्षु आईपीएस पुष्कफर शर्मा, एसडीओपी पीताम्बर पटेल को तलब कर रात्रि गश्त सहित अन्य जरुरी निर्देश दिए…
कोरोना दौर में एक ओर व्यक्ति बाहर के वातावरण से संघर्ष कर रहा है, वहीं वह अपने अंदर भी संघर्ष कर रहा है। इस संकट में मेडिकल स्टाफ के साथ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाली पुलिस फोर्स भी एक अनदेखे संकट से गुजर रहे है।
पुलिसिंग में रातोंरात कार्यप्रणाली बदलने की दुविधा है। अचानक आई जिम्मेदारी को सामाजिक दूरी के साथ क्रियान्वित करना चुनौतीपूर्ण है। पुलिस वर्दी के अनेक हिस्से जैसे व्हिसल कोर्ड, बैरेल कैप, स्टार, अशोक स्तंभ, नेम प्लेट, बेल्ट को नियमति रूप से सेनेटाइज करने की आवश्यकता है। पहले औसतन एक सिपाही एक वर्दी 02- 03 दिवस में धोता था, लेकिन अब प्रत्येक दिन ड्यूटी के पश्चात वर्दी को धोना आवश्यक है। सिपाही थानों व पुलिस लाइन बैरक में एक साथ रहते हैं। एक-दूसरे के बैडिंग का भी प्रयोग कर लेते हैं, जो खतरनाक हो सकता है।
अपराधियों को पकडऩा एवं लम्बे समय तक उसके संपर्क में रहना स्थिति को गंभीर बनाता है। नाकाबंदी, गश्त, दबिश के दौरान ड्यूटी प्वॉइंट पर ही खान-पान करना पड़ता है। हर कार्य क्षेत्र को सेनेटाइज करना चुनौती है। उससे भी बड़ी चुनौती है सेनेटाइजेशन मानकों का प्रत्येक दिन पालन करना।
जहां एक ओर आम आदमी परिवार के साथ कोरोना से बचाव के लिए घरों में लॉक है, वहीं पुलिस फोर्स का अधिकांश हिस्सा 05-06 माह से कोरोना ड्यूटी के कारण घर भी नहीं जा पाया, जो तनाव का कारण बन रहा है। कई पुलिस कर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अनजाने में संक्रमित होकर परिजनों को भी संक्रमित किया है। इन जिम्मेदारियों ने पुलिसकर्मी को न केवल तनाव दिया, बल्कि शंका, बैचेनी व अनिश्चितता भी दी है। यही कारण है कि देशभर से पुलिसकर्मियों द्वारा आत्महत्या करने की खबर पढ़ रहे हैं।
प्रदेश में सैकड़ों पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। कई अपनी जान गंवा बैठे हैं, लेकिन मनुष्य प्रवृत्ति यह है कि वह हर अंधेरी रात में एक छोटी सी उम्मीद की किरण ले ही आता है।
महामारी काल में भी पुलिंसिंग ने अपने लिए नई आशा की किरणें ढूंढ़ ली हैं। जहां धार्मिक व राजनीतिक समारोह, वीआईपी विजिट, धरना, प्रदर्शनों में अत्यधिक पुलिस जाप्ता लगाया जाता था, जो कि इस संकट काल में सीमित हो गया है। इसके फलस्वरूप पुलिसकर्मियों को वास्तविक पुलिसिंग के लिए अधिक समय मिला…
यह सत्य है कि इस काल में ऑनलाइन धोखाधड़ी, घरेलू हिंसा, आत्महत्या, चोरी, संपत्ति विवाद बढऩे की चुनौती है, लेकिन एक दूसरे नजरिए से देखे तो समग्र पुलिस फोर्स की छवि में भी जबरदस्त सुधार हुआ है….
पुलिस की ड्यूटी व सामाजिक सरोकार के प्रयासों को आमजन द्वारा सराहा गया है। इस समय घर की चारदीवारी में सुरक्षित लोगों ने अपने मोहल्ले के चौराहों पर धूप में खड़े पुलिसकर्मी को देखकर उसकी कठिन ड्यूटी व जज्बे को समझा है। कोरोना योद्धा के रूप में उनका सम्मान किया है। पुलिस को भी आपदा में सेवा करने का चुनौतीपूर्ण अवसर मिला है। जिसे पुलिस महकमे ने डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व सफाई कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वीकार किया है। इस प्यार, सम्मान, सराहना व उत्कृष्ट छवि को अब सैदव के लिए बनाकर रखना पुलिस के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती है।
सकारात्मक छवि पुलिस में एक नए युग के सृजन का प्रतीक है। जो जिलें के पुलिस कर्मियों को किसी भी कीमत पर धूमिल नहीं होने देना चाहिए…