भारत बायोटेक प्रमुख ने कहा, तीसरे चरण के परीक्षण के लिए 8,000 स्वयंसेवकों की हुई भर्ती, सुरक्षित है वैक्सीन
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कहा है कि वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए कंपनी ने 8000 स्वयंसेवकों की भर्ती की है। भारत बायोटेक ने पिछले हफ्ते ही पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के डाटा के आधार पर दवा नियामक से मंजूरी मांगी है।
फिक्की के कार्यक्रम में बोलते हुए भारत बायोटेक इंटरनेशनल (बीबीआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने कहा, वे पहले ही वैक्सीन के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के लिए लोगों को भर्ती कर चुके हैं। 22,000 स्वयंसेवकों में से, हम पहले ही लगभग 8000 स्वयंसेवकों की भर्ती कर चुके हैं। पिछले 15 दिनों में हमने सक्रिय रूप से भर्ती की है। बीबीआईएल ने 17 नवंबर को तीसरे चरण के लिए परीक्षण की शुरुआत की।
उन्होंने बताया, कंपनी ने पहले और दूसरे चरण के परीक्षण डाटा के आधार पर मार्केटिंग मंजूरी के लिए आवेदन किया। एल्ला का मानना है कि चूंकि बंदरों पर किए गए परीक्षण के बाद मिले डाटा ने वैक्सीन की प्रभावकारिता को प्रदर्शित किया है और पहले और दूसरे चरण के डाटा ने ये दिखाया है कि वैक्सीन मानव शरीर के लिए सुरक्षित है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने मार्केटिंग मंजूरी के लिए आवेदन दिया है। वैक्सीन के विकास पर टिप्पणी करते हुए एल्ला ने कहा, हर कार्य अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
बीबीआईएल के अध्यक्ष ने कहा, वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और किसी भी गंभीर प्रतिकूल घटना के मामले में कंपनी 200 प्रतिशत पारदर्शी है। एल्ला ने जोर देते हुए कहा, हम अमानवीय लोग नहीं हैं, हम अपने स्वयंसेवकों के बारे में संवेदनशील हैं, लेकिन हम गोपनीयता के कारण उनके नामों का खुलासा नहीं कर सकते। पारदर्शिता से मेरा मतलब है कि हम घटनाओं को नियामक, डाटा और सुरक्षा निगरानी बोर्ड और नैतिकता समिति को रिपोर्ट करते हैं।
एल्ला ने कहा, वैक्सीन सुरक्षित है, समय पर परीक्षण और सिद्ध तकनीक से बनाया गया है। यह छह महीने के बच्चे से लेकर 60 साल की उम्र तक के लोगों को दिया जा सकता है। हालांकि, शुरू में भारत में वैक्सीन की मंजूरी 16 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए होगी।