याचिका दायर करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार पर 50 हजार रुपये का लगाया जुर्माना

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक वर्ष बाद याचिका दायर करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि वह इस तरह की देरी की सराहना नहीं कर सकता।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, राज्य सरकार ने हमेशा की तरह एक साल से अधिक की देरी के बाद मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है लेकिन याचिका दायर करने में देरी का कारण नहीं बताया गया है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। पीठ ने राज्य सरकार को याचिका दायर करने में देरी के जिम्मेदार अधिकारियों पर जवाबदेही तय करने व उनसे जुर्माने की रकम वसूलने के लिए कहा है।
पीठ ने झारखंड के एडिशनल एडवोकेट जनरल अनुभव चौधरी से कहा कि हम इस तरह की देरी को कतई सरहाना नहीँ कर सकते। इस तरह की देरी के लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। पीठ ने एडिशनल एडवोकेट जनरल को चार हफ्ते के भीतर जुर्माने की रकम के साथ-साथ वसूली के प्रमाणपत्र जमा करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा है कि इन निर्देशों के अनुपालन के बाद ही इस मामले पर विचार किया जाएगा।
सनद रहे कि जस्टिस संजय किशन कौल अक्सर राज्य सरकारों द्वारा सीमा अवधि के बाद याचिका दायर करने में देरी पर नाराजगी जताते रहे हैं। वे कहते रहे है कि शीर्ष अदालत से याचिका खारिज होने का प्रमाण पत्र लेने के लिए राज्य सरकारें ऐसा करती हैं। जिससे कि राज्य यह कह सके कि अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।




