रायगढ़ । छत्तीसगढ़ की बड़ी आबादी गांवों में निवास करती है। कृषि व पशुपालन आधारित गतिविधियां जीविकोपार्जन की धुरी है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण हेतु ग्राम परिदृश्य में उपलब्ध संसाधनों के समन्वित विकास से किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। आज भी अधिकांश किसानों के लिए पशुधन ही कृषि कार्यों में प्रमुख सहयोगी है। उनसे मिलने वाले उत्पादों से भी रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। अब तो शासन ने गोबर खरीदी भी प्रारम्भ कर दी है। जो पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय अर्जन का अवसर बनकर आया है। खरीदे गए गोबर से जैविक खाद के साथ अन्य उत्पाद निर्माण कार्यों ने ग्रामीण महिलाओं को स्वालम्बन की राह दिखायी है। पशुधन के महत्व को पुनस्र्थापित करते हुए उसे सहजने और संवारने के उद्देश्य से शासन द्वारा कई कार्यक्रम व योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
पशुओं की नस्ल व सेहत सुधार के लिए हो रहे कार्य
सुराजी ग्राम योजना के तहत पशुओं के नस्ल व सेहत सुधार के लिए कार्य किये जा रहे है। रायगढ़ जिले के स्वीकृत 514 गौठानों में 4301 कृत्रिम गर्भाधान कार्य, 916 वत्सोत्पादन, 14925 पशु उपचार, 23079 कृमिनाशक दवा वितरण, 3202 बधियाकरण, 102255 टीकाकरण कार्य किया गया है गौठानों में 588 शिविर का आयोजन किया गया है। गौठानों में चारागाह विकास हेतु 149 क्विंटल मक्का चाराबीज, 140 क्विंटल सोरघम एवं 4 क्विंटल ओट चारा बीज एवं 818100 नेपियर रूटकट का वितरण किया गया है जिसमें 1975 क्विंटल मक्का, 627 सोरघम एवं 1516 नेपियर हरा चारा उत्पादन हुआ जिसे गौठान में आने वाले पशुओं को खिलाया गया।
रोजगार संवर्धन हेतु पशुपालन को बढ़ावा
रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए पशुपालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न पशुधन क्रय करने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है। 900 हितग्राहियों को चूजे तथा कुक्कट खाद्य प्रदाय किया गया है। शत-प्रतिशत अनुदान पर 11 पशुपालकों को एक उन्नत नस्लीय गौ-वंशीय सांड प्रदान किया गया है। 10 हितग्राहियों को नर सूकर व 80 को उन्नत नस्ल मिडिल वाइट यॉर्कशायर सूकर त्रयी इकाई व 110 हितग्राहियों को नर बकरा क्रय करने हेतु चिन्हित कर अनुदान स्वीकृत किया जा चुका है। इसके साथ ही कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न उन्नत नस्ल की बछिया के लिए 4 से 24 माह की आयु तक भरण पोषण हेतु 94 पशुपालकों को पशु आहार प्रदान किया गया है। जिले में डेयरी की व्यापक संभावनाओं के मद्देनजर डेयरी उद्यमिता विकास योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को जोड़ा जा रहा है। उन्हें उन्नत नस्ल की गाय अथवा भैंस क्रय के लिए अनुदान दिया जाता है। जिले में गत वर्ष 50 प्रकरणों को स्वीकृति मिली है।
कृत्रिम गर्भाधान में रायगढ़ जिले ने राज्य में हासिल किया पहला पायदान
कृत्रिम गर्भाधान से नस्ल सुधार के क्षेत्र में रायगढ़ जिले में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2019.20 में रायगढ़ जिले ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए छत्तीसगढ़ में पहला पायदान हासिल किया है। इस कार्य से न केवल उन्नत नस्ल के पशु वंश का प्रजनन व संवर्धन हो रहा है बल्कि लोगों को रोजगार के और मौके भी मिल रहे हैं। विभाग द्वारा गर्भाधान, टीकाकरण व बधियाकरण जैसे कार्यों में प्रशिक्षित लोगों का सहयोग लेता है, जिसके ऐवज उन्हें कार्य आधारित मानदेय दिया जाता है। प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता योजना के अंतर्गत जिले में कुल 64 प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को कार्य आधारित मानदेय के तहत इस वर्ष 50.50 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। पशुधन मित्र योजना के अंतर्गत गोसेवक एवं मैत्री कार्यकर्ताओं के द्वारा टीकाकरण, बधियाकरण एवं शिविर आयोजित करने में सहायता का करने पर कार्य आधारित मानदेय के तहत इस वर्ष 12.76 लाख रुपए रुपए का भुगतान किया गया है।