THE DEHATI SPECIAL : गोधन न्याय योजना ने जगाई लोगों में आस, कहा- ऐसी योजना को बहुत पहले हो जाना था शुरू, ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में भी मिलेगा फायदा

हरेली त्योहार के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए

किसानों–पशुपालकों को केंद्र में रखकर बनाई गई प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना की शुरुआत होगी. योजना के तहत गौठान समितियों की ओर से गांव–गांव में पशुपालकों से डेढ़ रुपए किलों में गोबर की खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार करेंगे, जिसे आठ रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा. इस कार्य को स्थानीय स्व–सहायता समूह अंजाम देंगे.

प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को लेकर जब द देहाती डाॅट का ने खरसिया विधान सभा क्षेत्र वासियों से जानना चाहा तो सभी के अलग–अलग मत सामने आए. बाल संरक्षण आयोग की सदस्य और समाज सेविका कांग्रेस नेत्री प्रखर वक्ता नैना मनोज गबेल ने बताया कि गोधन न्याय योजना निश्चित ही एक अच्छी योजना है, इससे मवेशी मालिकों को आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही साथ ही खुले में मवेशियों के रहने से सड़क हादसे में जाने वाली लोगों की जाने और मवेशियों के भी मारे जाने में कमी आएगी. इस योजना को संचालित करने वाले अधिकारी-कर्मचारी मेहनत करें रंग तो निश्चित ही लाएगा, सरकार की योजना सफल होगी.

खरसिया जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के नेता कृष्ण कुमार पटैल की माने तो सरकार की मंशा अच्छी नजर आ रही है, बशर्ते योजना को क्रियान्वित करने वाले अधिकारी–कर्मचारी बेहतर क्रियान्वित करे. रोका छेका योजना, नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बारी, गौठान में मवेशियों की योजना निश्चित ही मवेशी और मवेशी मालिकों के हित है. योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि मवेशियों के चारा–पानी ,उपचार की पर्याप्त व्यवस्था हो.

ब्लॉक कांग्रेस कमेटी खरसिया ग्रामीण के अध्यक्ष झाडू राम गबेल के प्रतिनिधि मनोज गबेल ने बताया कि गोबर और खाद की महत्त्व पहले भी था, आज भी है, और आगे भी रहेगा. खेती करने पहले गोबर खाद का छिकड़काव किया जाता था, और धान से जो चावल होता था, उसमें से खूशबू औऱ धान की पैदावारी अधिक होती थी. हमारे किसान भाई ने खुब तरक्की किए और स्वास्थ्य के लिए चावल भी बेहतर होता है। खेती किसानी की बात और कृषक परिवार में पला बढ़ा किसान और किसानों के दुख दर्द बेहतर समझता हुं ,वर्तमान समय में उर्वरक उपयोग करने से काफी नुकसान भी होता है. इस योजना के बाद निश्चित ही किसानों का आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता परीक्षित राठौर कहते हैं कि सरकार की इस योजना का उद्देश्य तभी सफल साबित होगा, जब भ्रष्टाचार की कोई बू न आये. मवेशी मालिक मवेशियों को बाहर ना छोड़ कर अपने घर पर रखेंगे, इससे उनको भी फायदे होंगे और मवेशियों की जान भी बचेगी.

हितेन्द्र मोदी कहते हैं कि इस तरह की योजना तो बहुत पहले ही शुरू हो जानी थी. शहरी क्षेत्र में अधिकांश सड़कों पर मवेशी दिखाई देते हैं. पशु मालिक जब तक गाय दूध देती है, तब तक उसे घर पर चारा–पानी खिलाते हैं, उसके बाद सड़क पर छोड़ देते हैं. इस योजना से पशु मालिक मवेशी को अपने घर पर रखेंगे और आर्थिक लाभ कमाएंगे.




