
श्रीराम कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं ने पाया आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव
चपले (राबर्टसन)। जब धरती पर अधर्म बढ़ जाता है, तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर धर्म की स्थापना करते हैं। ऐसा ही आध्यात्मिक अनुभव चपले (राबर्टसन) में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव के द्वितीय दिवस को देखने को मिला,
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जब कथा वाचक पंडित अजय उपाध्याय ने प्रभु श्रीराम के जन्म की व्याख्या करते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति,धर्म और जीवन के मूल उद्देश्य से परिचित कराया।

कथा वाचक पंडित अजय उपाध्याय ने बताया कि भगवान सर्वत्र विद्यमान हैं। उन्हें पाने का एकमात्र मार्ग है – सच्चे मन से की गई भक्ति। उन्होंने कहा कि जब मन निर्मल और भावना स्वच्छ होती है, तभी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। राम जन्म की कथा सुनाते हुए जैसे ही उन्होंने भजन गाया, पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भक्ति भाव से झूम उठे। वातावरण “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठा।
धर्म बनाम संप्रदाय की व्याख्या

पंडित उपाध्याय ने धर्म और संप्रदाय के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा, “धर्म व्यक्ति के भीतर एकता और आत्मिक बल का संचार करता है, जबकि संप्रदाय बाहरी रूप से एकरूपता की भावना देता है।” उन्होंने आगे बताया कि श्रीराम का जीवन धर्म, मर्यादा और समर्पण का प्रतीक है, और उनसे प्रेरणा लेकर मानव जीवन को भी सदाचार की ओर मोड़ा जा सकता है।
दिव्य दरबार में मिला समस्याओं का समाधान

श्रीराम कथा के उपरांत आयोजित दिव्य दरबार श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा अनुभव बन गया। इसमें पंडित अजय उपाध्याय ने परचा विधि के माध्यम से लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं का निःशुल्क समाधान किया। इस विधि में श्रद्धालु लाल कपड़े में नारियल बांधकर हनुमान जी व मां संतोषी के नाम जाप के साथ दरबार में उपस्थित होते हैं। फिर पंडित जी उपस्थित जनों में से नाम पुकार कर परचा निकालकर श्रद्धालु की समस्या का सटीक समाधान व भविष्यवाणी करते हैं।

इस दिन दरबार में उपस्थित दस लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान प्राप्त हुआ, जिससे उनमें नई आशा और आत्मबल का संचार हुआ। पंडित जी ने बताया कि सही समय पर मिला मार्गदर्शन व्यक्ति के जीवन को नई दिशा दे सकता है।
आगामी दिव्य दरबार का अवसर – 15 व 17 तारीख को

जो श्रद्धालु अपने जीवन की उलझनों और परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए 15 व 17 तारीख को आयोजित होने वाले दिव्य दरबार में अर्जी लगाने का सुनहरा अवसर है।

सभी भक्तों हमारे लिए एक समान कोई विशिष्ट नहीं है मां संतोषी और हनुमान जी को अर्जी लगाए उनके कृपा से“पहले आओ,पहले पाओ“ के आधार पर सीमित श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहेगा।
https://www.youtube.com/live/lfa3BiMJ-YY?si=QfEc54pVpNQQJKk8
पंडित अजय उपाध्याय का मानना है कि जब आस्था, भक्ति और श्रद्धा से व्यक्ति भगवान की ओर कदम बढ़ाता है, तब उसका जीवन स्वतः ही उज्ज्वल मार्ग की ओर अग्रसर हो जाता है।
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