
नदी बहती और बोलती है,
छूती और पकड़ती है
दिखती और छुप जाती है
कभी शिलाओं बीच ,
कभी अंतःसलिला बन।
( श्रावण माह में पूरे उफान पर #केलो नदी )

नदी बहती और बोलती है,
छूती और पकड़ती है
दिखती और छुप जाती है
कभी शिलाओं बीच ,
कभी अंतःसलिला बन।
नदी बहती और बोलती है,
— Taran Prakash Sinha 🇮🇳 (@SinhaTaran) August 4, 2023
छूती और पकड़ती है
दिखती और छुप जाती है
कभी शिलाओं बीच ,
कभी अंतःसलिला बन।
( श्रावण माह में पूरे उफान पर #केलो नदी ) pic.twitter.com/CWyBk8M6eh
( श्रावण माह में पूरे उफान पर #केलो नदी )