मोदी गेमचेंजर तो नीतीश कमजोर, खुद बुझकर भाजपा को रोशन कर गए ‘चिराग’
बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी महागठबंधन के मुंह से जीत का निवाला निकालकर गेमचेंजर साबित हुए। पहले चुनाव चरण में बुरी तरह पिटी राजग ने अगले दो चरणों में पीएम मोदी के चेहरे और केंद्रीय योजनाओं के सहारे न सिर्फ सीएम नीतीश के खिलाफ एंटी-इनकंबैंसी की बयार रोकी बल्कि बाजी पलटने में भी कामयाब रही। पूरी लड़ाई में नीतीश कमजोर पड़े तो हार के बावजूद तेजस्वी ने अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया। हां, इस पूरी लड़ाई में अपने घर को फूंक कर चिराग पासवान भाजपा का घर रोशन कर गए। लोजपा दो सीटों से घटकर एक पर आ गई।
नीतीश को भी मोदी जी का सहारा
दरअसल, राज्य में नीतीश और खासकर उनके तीसरे कार्यकाल के खिलाफ मतदाताओं में भारी नाराजगी थी। नाराजगी का आलम यह था कि भाजपा समर्थक मतदाता भी जदयू के पक्ष में वोट करने के लिए तैयार नहीं थे। इसी बीच पीएम मोदी ने मोर्चा संभाला और जंगलराज के मुद्दे को हवा देने के साथ तेजस्वी कि लोकलुभावन घोषणाओं पर तथ्यात्मक वार शुरू किया।
तेजस्वी को जंगलराज का युवराज बताकर राज्य के लोगों को लालू राबड़ी शासनकाल की याद दिलाई। हालात को भांपते हुए राजग ने मोदी को चेहरा बनाया। कई रैलियों में खुद नीतीश मोदी के नाम पर वोट मांगते दिखे। इससे दूसरे और तीसरे चरण में अचानक नीतीश के खिलाफ चल एंटी इनकंबेंसी की बयार थमती दिखी।
केंद्रीय योजनाओं और महिलाओं की भूमिका
राजग की सत्ता बरकरार रखने में केंद्रीय योजनाओं और महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई। कोरोनाकाल में जन धन योजना की महिला खाताधारकों में नगद राशि भेजने, मुफ्त अनाज कार्यक्रम, लाखों की संख्या में बने शौचालय और इतनी ही संख्या में बांटे गए मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन का असर जमीन पर दिखा। इससे पहले नीतीश की शराबबंदी योजना, पंचायत चुनाव में महिलाओं को आरक्षण का लाभ राजग को मिला था।
वामदलों की बढ़ी ताकत
चुनाव में खास बात वामदलों की ताकत में इजाफा है। इस चुनाव में महागठबंधन के साथ उतरे वामदलों ने अपने हिस्से की 29 सीटों में से 16 सीटों पर जीत हासिल कर राजद से भी अच्छा प्रदर्शन किया। बीते चुनाव में वाम दलों में सीपीआई माले को 4 सीटें मिली थी।