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सीमा विवाद: चुशुल में आठवें दौर की कमांडर स्तर वार्ता शुरू, सीडीएस रावत ने चीन को दिया कड़ा संदेश

भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच वार्ताओं का दौर जारी है। इसी क्रम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की आठवीं वार्ता शुरू हो गई है। वार्ता के बीच देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने पड़ोसी देश चीन क कड़ा संदेश दिया है। उन्होंन कहा कि हमें एलएसी पर किसी भी तरह का बदलाव मंजूर नहीं है। आठवें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं, जिन्हें हाल ही में लेह की 14वीं कोर का कमांडर नियुक्त किया गया था।

जानकारी के अनुसार यह सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख के चुशुल में आयोजित हो रही है। दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई महीने से चल रहे सैन्य तनाव को लेकर वार्ता करेंगे। दोनों पक्ष विवाद के समाधान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर बात करेंगे। इससे पहले सातवें दौर की सैन्य वार्ता 12 अक्तूबर को हुई थी। इसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने पर कोई नतीजा नहीं निकला था।
भारत इस वार्ता में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर देगी। आधिकरिक सूत्रों ने बताया कि बैठक शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय क्षेत्र की तरफ चुशूल में होगी।
पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली सर्दी में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं। छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।

अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में कहा था कि भारत और चीन के बीच गंभीर तनाव है और सीमा प्रबंधन को लेकर दोनों पक्षों द्वारा समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए।

पिछले दौर की वार्ता के बाद दोनों सेनाओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता तथा संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए हैं जिससे कि ‘जल्द से जल्द’ पारस्परिक रूप से सहमति वाले समाधान पर पहुंचा जा सके।

छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक न भेजने, जमीन पर स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने से बचने और स्थिति को बिगाड़ने वाली कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ कदमों की घोषणा की थी।

पिछले दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाओं की ओर से जारी किए गए संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा गया था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से संवाद कायम रखने पर सहमत हुए हैं। ताकि, गतिरोध को खत्म करने के लिए जल्द से जल्द कोई साझा स्वीकार्य समाधान निकाला जा सके।

वहीं, सैन्य वार्ता के छठे चरण की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने कुछ फैसलों की घोषणा की थी। इसके तहत अग्रिम मोर्चे पर और सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा तरीके से जमीनी हालात बदलने से परहेज करने और हालात को जटिल बनाने वाली किसी भी कार्रवाई से परहेज की बात कही गई थी।

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