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लॉक डाउन में ‘सीख ‘  कार्यक्रम से बदलेगा पढऩे और सीखने का अंदाज

शिक्षक और पालक अब साथ मिल कराएंगे बच्चों की पढ़ाई
तमनार विकासखण्ड के 137 प्राथमिक शालाओं में चालू होने जा रहा है यह कार्यक्रम

रायगढ़। एकाएक स्कूल बंद होने के कारण बच्चों के सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में बाधा आई है। कोविड-19 के कारण यह स्थिति कब तक ऐसे ही रहेगी इसके बारे में कुछ भी कहना अभी संभव नहीं है इसलिए यूनिसेफ  ने ‘सीख ‘ कार्यक्रम के माध्यम से घरों और समुदायों की मदद से बच्चों के लिए मजेदार और सरल सीखने-सिखाने के अवसर तैयार किये है।  प्रोग्राम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों को मजबूत बनाने के लिए प्राथमिक स्कूलों के सभी बच्चों को निरंतर सीखने में सहायता करने के अवसर देना है। इसमें लॉक डाउन के दौरान ही शिक्षक और अभिभावक के आपसी समन्वय से घर और समुदाय में बच्चों के लिए रोचक तरीकों से सीखने के अवसर सृजन किये जायेंगे ताकि बच्चों के लिए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया चलती रहे और उसे आनंददायक बनाया जा सके।

छत्तीसगढ़ के तीन विकासखण्डों के प्राथमिक शालाओं से इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। जिसमे रायगढ़ जिले का तमनार विकासखण्ड भी शामिल है। तमनार के सभी 137 प्राथमिक शालाओ में इसका क्रियान्वयन प्रारम्भ किया जा रहा है।

 

इस कार्यक्रम में शिक्षकों द्वारा अभिभावकों को व्हाटसअप ग्रुप के माध्यम से सीखने की सामग्री को साझा किया जाएगा। जो कि चित्र, छोटे वीडियो, पोस्टर/पृष्ठ आदि के साथ एक स्पष्ट निर्देशिका जो कि ऑडियो क्लिप के रूप में होगी इसे पालकों के साथ साझा किया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर एक विडियो साझा की है तो उसके साथ एक ऑडियोक्लिप द्वारा उस विडियो में बच्चे और पालक को क्या करना उसे समझाया जाएगा। ऑडियो क्लिप से पालकों को गतिविधि को समझने में अधिक मदद मिलेगी।  जिनका उपयोग बच्चों के साथ मिलकर घर या समुदाय स्तर पर कर पायेंगे। पठन सामग्री के वितरण के लिए स्कूल के साथ-साथ संकुल, विकासखंड और जिला स्तर पर भी ग्रुप बनाया जाएगा।

हर सप्ताह अभिभावकों से 2 पठन गतिविधियां सोमवार और शुक्रवार को साझा की जाएगी जो कि भाषा और गणित विषयों पर केन्द्रित होंगी। इसके साथ ही कुछ बुनियादी विज्ञान, खेल और जीवन कौशल शिक्षा गतिविधियां भी होगी। ये गतिविधियां पालकों के दैनिक दिनचर्या से संबंधित होगी ताकि इन्हें करने से पालकों को कोई परेशानी न आए। कोविड-19 से संबंधित विशेष सावधानियों पर जागरूकता की जानकारी पूरे कार्यक्रम के दौरान दी जाएगी। इस कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए नियमित रूप से हर हफ्ते पालकों से फीडबैक भी लिया जाएगा। जिसकी जिला स्तर पर समीक्षा कर कार्यक्रम में आवश्यक फेरबदल भी किये जा सकेंगे।

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