रायपुर में आयोजित कांग्रेस के महाधिवेशन का आज आखिरी दिन है। महाधिवेशन में देश के सभी राज्यों से कांग्रेसी नेता शामिल हुए है। वहीं आज राहुल गांधी समेत पार्टी के नेता और कार्यकताओ ने सभा को संबोधित किया। राहुल गांधी ने अपने सम्बोधन के दौरान 4 महीने की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की बात की। कहा कि हमारी भारत जोड़ो यात्रा से लाखों लोग जुड़े हैं और हमने गले लगकर सबका दर्द महसूस किया। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि 52 साल हो गए और आज तक उनके पास घर नहीं है।
बता दें कि भाषण के दौरान राहुल गांधी की जुबान फिसल गई। दरअसल, राहुल महात्मा गांधी के सत्याग्रह की बात बता रहे थे। इस दौरान वो कहते हैं कि सत्याग्रह का मतलब होता है कि सत्ता का रास्ता कभी मत छोड़ो. हालांकि तुरंत उन्होंने अपने वाक्य को सुधार लिया। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह का मतलब सत्य के रास्ते में चलना होता है। सत्य के लिए हठ करना।
बीजेपी पर हमलावर हुए राहुल गांधी
राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, “हम हैं सत्याग्रही और भाजपा सत्ताग्रही है। वे लोग सत्ता पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। मैंने अदाणी से कहा कि वो 106 नंबर से 2 पर कैसे पहुंचे।”
राहुल गांधी ने कहा, “मैंने संसद में एक उद्योगपति के खिलाफ मोर्चा खोला। मैंने एक फोटो दिखाई, जिसमें मोदीजी अदाणी के साथ प्लेन में बैठे हैं। मैंने पूछा रिश्ता क्या है, तो भाजपा सरकार के सभी मंत्री अदाणी की रक्षा करने लग गए। अदाणी पर हमला करने वाला देश द्रोही और अदाणी देशभक्त बन गए। भाजपा और संघ उस व्यक्ति की रक्षा कर रहे हैं, सवाल ये है कि रक्षा क्यों कर रहे हैं। ये जो शेल कंपनियां हैं, हजारों करोड़ रुपया हिंदुस्तान भेज रही हैं, ये किसकी हैं, इसमें किसका पैसा है, जांच क्यों नहीं हो रही है, जेपीसी क्यों नहीं बन रही है।”
ये घर हमारे साथ चलेगा’
राहुल गांधी ने आगे कहा, “बहुत सोचने पर मेरे दिमाग में आइडिया आया और मैंने अपने ऑफिस के लोगों से कहा कि यहां हजारों लोग चल रहे हैं, धक्का लगेगा, लोगों को चोट लगेगी, तो हमें एक काम करना है… मेरे साइड में और आगे 20-25 फीट, खाली जगह पर हिंदुस्तान के लोग हमसे मिलने आएंगे, अगले चार महीने के लिए यही हमारा घर है। मतलब ये घर हमारे साथ सुबह से शाम तक चलेगा।”
राहुल गांधी ने संबोधन में अपने बचपना का किस्सा भी साझा किया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जब सात साल का था तब 1977 में एक दिन मां ने बताया कि हम घर छोड़ रहे हैं। मां ने पहली बार ये बताया कि ये हमारा घर नहीं है। मैंने पूछा कहां जाना है तो बोलीं “नहीं मालूम”।