छत्तीसगढ़

भक्तो को खोज कर मनोकामना पूर्ण करते है भगवान – बाबा प्रियदर्शी राम

रायगढ़। ग्राम बनोरा अघोर पंथियों के मानस पटल पर तीर्थ स्थली के रूप में मौजूद है।ग्राम बनोरा की महिलाओ द्रारा आयोजित भागवत कथा में अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के संस्थापक परम पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम शामिल हुए । बाबा प्रियदर्शी राम जी के स्वागत हेतु ग्राम बनोरा का हर घर रंगोली से सजा हुआ था। घर के बाहर दीप प्रज्वलित कर भजन कीर्तन के साथ बाबा प्रियदर्शी राम का भाव भिना स्वागत किया गया । भागवत कथा में आशीर्वचन के दौरान पूज्य पाद प्रियदर्शी ने महिलाओ द्वारा आयोजित भागवत कथा की प्रशंसा करते हुए कहा कि समर्पण भाव से भगवान की भक्ति भाव कोई भी कर सकता है l शबरी की कुटिया में मिलने गए भगवान राम के साथ संवाद का स्मरण कराते हुए पूज्य पाद प्रियदर्शी राम जी ने कहा शबरी ने कहा आदम जात की मंद बुद्धि मैं नही जानती की भक्ति कैसे होती है । भगवान राम ने कहा भक्ति को जाति पाती धन सामर्थ्य की बजाय भाव पूर्ण संबंधो से जानता हूं । गुरु के सानिध्य में शबरी ने 14 वर्षो तक अनवरत आंगन में फुल बिछा कर भगवान राम की प्रतिक्षा की। भक्ति करने वालो को भगवान स्वयं खोज कर उसकी मनोकामना पूर्ण करते है।

भगवान को सर्वव्यापी बताते हुए कहा सभी जगह होने के बाद भी दिखाई नहीं देते । जैसे सूर्य का प्रकाश लकड़ी ,पत्थर में दिखाई नहीं देता है । लेकिन शीशे में प्रतिबिम्ब बनता हैं । उसी प्रकार मनुष्य के शीतल ,निर्मल होने से ईश्वरत्व का अनुभव किया जा सकता है । निर्मल व पवित्रता का अभाव होने से ईश्वर की अनुभूति संभव नहीं है ।मंदिरो में रमने वाले देवता ही कोई भगवान नहीं है। बल्कि घट -घट ,कण कण में देवता की मौजूदगी हैं । परम शक्ति का अंश आत्मा के रूप में हर प्राणी में मौजूद है।मोह से ग्रसित होकर हम इस सत्य को भूल बैठते है । सुख संपति व साधनों का संचय करते करते हम इस हकीकत को भूल बैठते है ।

मनुष्य मृग तृष्णा की तरह मोह माया के बंधनों की ओर आकर्षित होता है । अंत में मनुष्य के साथ सिर्फ उसके कर्मों का लेखा जोखा ही जाता है । तीन मित्रो की कहानी के जरिए जीवन की सच्चाई बताते हुए कहा एक व्यक्ति के 3 मित्र थे ।वह पहले मित्र के साथ 24 घंटे दूसरे के साथ 12 से 14 घंटे तीसरे मित्र से कभी कभी मुलाकात होती थी ।यह व्यक्ति कचहरी के चक्कर में फंस गया । जज द्वारा गवाह लाने पर व्यक्ति ने तीन तीन गवाह लाने की बात कही ।24 घंटे साथ रहने वाले मित्र ने गवाही देने की बात पर कहा कि मैं घर तक ही मदद कर पाऊंगा। 12 से 14 घंटे मुलाकात करने वाले दूसरे मित्र से जब गवाही की मदद मांगी तो उसने कहा मैं कचहरी के द्वार तक ही मदद कर पाऊंगा ।कभी कभी मिलने वाले मित्र से जब गवाही की मदद मांगी तो वह मदद के लिए तैयार हो गया और तीसरे मित्र की गवाही से व्यक्ति बरी हो गया । बाबाजी ने तीन मित्रो के बारे में समझाते हुए कहा सभी के जीवन में तीन मित्र होते हैं ।

पहला मित्र सम्पति, दूसरा मित्र संबंधी और तीसरा मित्र उसके सद्कर्म ।ईश्वर के कोर्ट में सबसे अपने अपने सद्कर्मों से फैसले तय होते है l पूज्य बाबा प्रियदर्शी ने महिलाओ में आयोजन की पुनः प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनो से गांव संगठित होता हैं । संगठित होने से ही गांव विकासित होता हैं । उन्होंने कहा कि बनोरा तथा आस पास के लोगो को कोई परेशानी न हो इसके लिए मिलजुल कर प्रयास करना हैं । बच्चों को अच्छी शिक्षा के जरिए इंजीनियर , डॉक्टर, वैज्ञानिक बनाए जिससे वे क्षेत्र तथा देश की सेवा करें। अच्छे कार्यो के लिए युवा वर्ग और पुरुषो को आगे आना चाहिए तथा परस्पर सहयोग करना चाहिए।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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