पूज्य अतुल कृष्ण जी भारद्वाज ने पत्रकारों से की वार्ता
कैलाश शर्मा @खरसिया-श्रीमद् भागवत कथा वाचन के लिए श्रीधाम वृंदावन धाम से पधारे श्रीमद् भागवत कथा वाचक परम पूज्य आचार्य श्री अतुल कृष्ण जी भारद्वाज जो कि अपने शुरुआती जीवन में स्वयं भी देश के जाने-माने ख्याति प्राप्त पत्रकार रह चुके हैं एवं कथा के आयोजक गर्ग परिवार नवापारा वाले द्वारा कन्या विवाह भवन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई प्रेस वार्ता में पत्रकार बंधुओं से धर्म-कर्म, सामाजिक समरसता, और भारत के सर्वधर्म समभाव एवं सत्य सनातन हिंदू धर्म,गौ माता, पितरों के तर्पण, पितरों के मोक्ष के लिए किए जाने वाले उपाय, प्रभु की भक्ति, घरगृहस्थी में रहते हुए प्रभु का स्मरण, बच्चों को दिए जाने वाले संस्कार, सहित हिंदू धर्म के विषय में विस्तृत चर्चा की
पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने बताया कि जहां भागवत ज्ञान यज्ञ कथा होती है वह एक ऐसा स्थान है जहां हिंदू एकत्रित होकर सामाजिक एकजुटता का परिचय देते हुए लगातार 7 दिनों तक भागवत कथा का आनंद लेते हुए ज्ञान प्राप्त करते हैं। अन्य धर्मों में सप्ताह में एक या दो दिन सामूहिक प्रार्थना आयोजित की जाती है एवं उनके धर्मगुरुओं द्वारा प्रवचन, धर्म के विषय में ज्ञान, आदि दिया जाता है उस धर्म के बच्चे बूढ़े जवान और औरतें उसका पालन करते हैं अन्य धर्मों में सामाजिक एकता उनके धर्म स्थानों में ही दी जाती है जिससे उनकी सामाजिक एकता बनी रहती है। इसे देखते हुए इसी प्रकार की एकता हिंदुओं में भी होनी चाहिए आज हिंदू धर्म टुकड़ों में बटा हुआ है। जिसका लाभ दूसरों के द्वारा उठाया जाता है और हिंदू धर्म को तोड़ने की खत्म करने की साजिश की जाती है आज हिंदू धर्म में एकता नहीं है और आज के माहौल को देखते हुए हिंदुओं का भी अपने पृथ्वी के सबसे पुराने सत्य सनातन धर्म दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक सनातन धर्म में लिखी बातों का अनुसरण करते हुए अपने वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं उस सनातन हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते हुए हिंदुओं को सामाजिक एकता और सामाजिक अखंडता बनाए रखनी चाहिए जिसके लिए कथा आयोजन का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
अक्सर देखने में आता है कि हिंदू एक नहीं है मंदिरों में भी जाएंगे तो भगवान की पूजा करेंगे और वापस आ जाएंगे आसपास उस मंदिर में कौन है किस से मिलना है इस सब से वास्ता नहीं रखते इन्हें अपने से मतलब रहता है दूसरों से मतलब नहीं रहता है अतः हिंदुओं को भागवत ज्ञान कथा में आना चाहिए जिससे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होने के साथ-साथ हिंदुओं की सामाजिक एकता का भी प्रचार प्रसार होता रहे।
आज का माहौल ऐसा हो गया है कि पड़ोसी भी पड़ोसी को नहीं पहचानते हैं आपसी भाईचारा खत्म होता जा रहा है
आगे उन्होंने गौ सेवा पर चर्चा करते हुए बताया कि प्रारंभ से ही छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा गौ धन रहा हैं और छत्तीसगढ़ वासी सीधे सरल और गौ सेवा में आगे रहते हैं संपूर्ण भारत की तरह छत्तीसगढ़ में भी गाय को गरुवा माता कहा जाता है।
आज गौ माता को वही स्थान दिलाना बहुत आवश्यक है जो श्री कृष्ण के द्वापर युग में था
गौ माता के खाने की समुचित व्यवस्था करने के लिए अतुल कृष्ण जी ने सुझाव दिया कि घरों की पहली रोटी बच्चों को दी जाए जो स्कूलों में ले जाकर इकट्ठा करें तथा उन्हीं रोटियों को गौशाला मैं पहुंचाया जाए इन रोटियों को भूसी में मिला कर दिया जाएगा तब गाय को पर्याप्त उर्जा और शक्ति प्राप्त होगी उन्होंने सभी लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि आप अपने बच्चों के जन्मदिन अपने जन्मदिन या शादी की सालगिरह विवाह के उपलक्ष में गौशाला में सवामणी लगवाएं साथ ही होटलों में पार्टी न बनाकर गायों के साथ गौशाला में अपना समय व्यतीत करें आपको काफी शांति मिलेगी गाय के गोबर का बना खाद से तैयार होने वाली उपज को अपने खाद्य पदार्थों में प्राथमिकता दें जिससे शरीर पृष्ठ तो होगा ही तथा विचारों में कोमलता भी आएगी गाय की आंखों में देखने पर एक अलग ही ममतामई स्नेह का एहसास होता है।
आगे पितरों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने पितृ मोक्ष के बारे में कहे कि श्राद्ध के समय जो जल तर्पण करके पितरों को समर्पित किया जाता है उससे उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है श्राद्ध 3 पीढ़ियों तक किया जाता है जो भी श्राद्ध किया जाता है उसमें सारे पितरों को आह्वान कर भक्ति भाव से तर्पण किया जाना चाहिए जिससे पितृ देव खुश होते हैं और उन्हें तृप्ति मिलती है जिससे प्रसन्न होकर वह संतान वृद्धि और धन वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। प्रत्येक अमावस के दिन भी पितरों को याद करते हुए उनका तर्पण किया जाना चाहिए जिससे पितृ देव खुश होते हैं उन्हें तृप्ति प्राप्त होती है साथ ही उन्हें जल्द ही मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
कार्यक्रम के अंत में पूज्य महाराज जी द्वारा सभी पत्रकारों को आशीर्वाद देते हुए प्रसाद प्रदान किया गया।
पत्रकार वार्ता में खरसिया नगर के पत्रकार साथियों सहित भागवत कथा के आयोजक गर्ग परिवार नवापारा वाले की गरिमामय उपस्थिति रही।