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खरसिया जनपद पंचायत में बड़ा घोटाला उजागर: तकनीकी सहायक पर 1.30 लाख रुपये की फर्जी मजदूरी आहरण का आरोप …


मनरेगा योजना में पारदर्शिता पर उठे सवाल,जिम्मेदारो के जिम्मेदारी में झोल झाल

खरसिया। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। खरसिया जनपद पंचायत के तकनीकी सहायक धनवान सिंह आदिले पर अपने ही परिवार के सदस्यों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर 1.30 लाख रुपये से अधिक की मजदूरी राशि निकालने का आरोप है। यह मामला अब प्रशासनिक जांच के घेरे में आ गया है और पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

परिवार के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड

जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड…?
जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड…?
जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड
जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड
जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड
जांजगीर चांपा निवासी का खरसिया जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत में जाबकार्ड

शिकायतकर्ता से मिली जानकारी के अनुसार, तकनीकी सहायक धनवान सिंह आदिले ने अपने पिता हरिशंकर आदिले (जॉब कार्ड नंबर: CH-13-007-005-001/851), माता पूनी बाई आदिले (जॉब कार्ड नंबर: CH-13-007-005-001/853), और भाई दीपक कुमार आदिले (जॉब कार्ड नंबर: CH-13-007-005-001/852) के नाम पर जॉब कार्ड बनवाए। इन कार्ड्स के आधार पर मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी भुगतान दर्शाया गया, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि इन व्यक्तियों ने कोई भी श्रम कार्य नहीं किया।

स्थानीय लोगों में रोष,की शिकायत

शिकायतकर्ता ने इस घोटाले को उजागर करते हुए प्रशासन से लिखित शिकायत की है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि मनरेगा योजना की आड़ में लंबे समय से फर्जीवाड़ा चल रहा है,जिससे वास्तविक मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है और सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।

प्रशासन ने ली जांच की जिम्मेदारी

जिम्मेदार अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है। यदि आरोपों की पुष्टि होती है, तो संबंधित तकनीकी सहायक के विरुद्ध न सिर्फ राशि की वसूली की जाएगी, बल्कि सेवा समाप्ति जैसी सख्त कार्यवाही भी की जा सकती है।

मनरेगा की पारदर्शिता पर सवाल

इस प्रकरण ने मनरेगा योजना की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं?एक ओर जहां यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का प्रमुख स्रोत मानी जाती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के फर्जीवाड़े इससे जुड़े भरोसे को कमजोर कर रहे हैं।

क्षेत्रवासियों की मांग – निष्पक्ष जांच और सख्त कार्यवाही

क्षेत्रवासियों का कहना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की खामी है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि पूरे जनपद पंचायत में मनरेगा योजनाओं की जांच की जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।


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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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