
किसी न किसी गलत वजह से महिला एवं बाल विकास विभाग सुर्खियों में रह रहा है। इस बार एक एकाउंटेंट के कारण जिला पंचायत सीईओ तक बात पहुंच गई। जिला पंचायत के ही एक अधिकारी की पत्नी महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत हैं। 2018 में उन्होंने मैटर्निटी लीव ली थी। उसके बाद बच्चे के पालन-पोषण के लिए भी कुछ अवकाश बढ़ाया था। उस अवधि का भुगतान उन्हें अब तक नहीं मिल सका था। रायगढ़ ग्रामीण परियोजना में पदस्थ एकाउंटेंट मंजू गोंड़ को कई बार बोलने के बाद भी फाइल नहीं भेजी गई। मंजू गोंड़ की मूल पदस्थापना धरमजयगढ़ है लेकिन उन्हें विशेष लाभ देते हुए रायगढ़ में अटैच करके रखा गया है। मामले की जानकारी जिला पंचायत सीईओ रवि मित्तल तक पहुंची। उन्होंने तुरंत डीपीओ को बुलाकर डांट लगाई। उन्होंने एकाउंटेंट मंजू को भी बुलाकर फटकार लगाई। मिली जानकारी के मुताबिक एकाउंटेंट के खिलाफ कुछ समय पहले भी शिकायत हुई थी लेकिन इसे दबा दिया गया।
पुसौर में रिश्वत मांगने का आरोप…
कुछ दिन पहले पुसौर सुपरवाइजर के खिलाफ भी गंभीर शिकायत की गई थी। तड़ोला के नवदुर्गा स्व सहायता समूह के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि सुपरवाइजर ने आंगनबाड़ी का बिल पास करने के एवज में 15 हजार रुपए की मांग की। पुसौर के हर पंचायत से रुपए लेने का आरोप भी लगाया है। राशि नहीं देने पर समूह को हटा दिया गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत दिए जा रहे आहार के बदले भुगतान पर अवैध वसूली की शिकायत की गई थी। मीटिंग में सभी सदस्यों के मोबाइल फोन छीन लेती है। हर बैठक में सौ-सौ रुपए लेती है। आकस्मिक व्यय की राशि भी हड़प ली गई है। पुसौर से पांच हजार, कोसमंदा से पांच हजार, कर्राजोर से नौ हजार, तड़ोला से 12,500, सुलोनी से घानातराई से पांच हजार और गुड़ु से पांच हजार रुपए लेने का आरोप लगाया गया है।




