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खाद्य तेल की महंगाई से बिगड़ा रसोई का बजट, 140 का तेल 200 में…

रायगढ़। रूस-युक्रेन युद्ध की आंच घर के बजट तक पहुंच गई है। युद्ध पूर्व 140 रुपये बिकने वाला खाद्य तेल अब 200 रुपये प्रति लीटर में चिल्हर विक्रेताओं द्वारा बिक्री किया जा रहा है। यानी 60 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई है। खाद्य तेल के थोक विक्रेताओं की मानें तो देश में तेल की जो खपत होती है, उसका सिर्फ 30 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है, शेष 70 प्रतिशत खाद्य तेल बाहरी देशों से आता है। इन जगहों से तेल आने पर प्रभाव पड़ा है जिससे तेल की आवक कम हो गई है। पहले की तरह माल नहीं आ रहा है। बहुत कठिनाइयों के बाद सामान पहुंच पा रहा है। इसलिए तेल की कीमत पर असर पड़ रहा है। अचानक बढ़ी महंगाई से आम लोग परेशान हो गए हैं। चिल्हर में 50 से 60 रुपये की बढ़ोतरी तो हुई है, उसी प्रकार 15 लीटर के तेल के डिब्बों में भी उछाल आया गया है। प्रत्येक तेल के टीपे की कीमत में 200 से 250 रुपये तक इजाफा हो गया है। सोयाबीन तेल का डिब्बा 2400 से 2650 रुपये में मिल रहा है। सनफ्लावर की कीमत 2570 रुपये तक पहुंच गया है। इसी प्रकार सरसों तेल भी 2450 रुपये से लेकर 2700 रुपये तक एक डिब्बा थोक में बिक रहा है। यही तेल पहले 2100 से 2350 तक मिल जाता था।

सनफ्लावर की आवक रूस व यूक्रेन से
थोक व्यापारियों के अनुसार भारत में सनफ्लावर तेल की आवक पूरी तरह रूस व यूक्रेन से होती है। वहां युद्ध होने से इसके आवक पर असर पड़ गया है। इस वजह से सनफ्लावर तेल तो कम होने का नाम भी नहीं ले रहा है। इसके दाम बढऩे से अन्य तेलों पर भी असर पड़ा है।

मुनाफा आधा, ग्राहकी भी हो गई कम
खाद्य तेल के विक्रेताओं ने बताया कि लगातार तेल की बढ़ती कीमतों से व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो गया है। पहले की तरह ग्राहकी नहीं है और जो मुनाफा पहले हो जाता था वह भी आधा हो गया है। ऐसे में सामानों के रेट बढ़ा देंगे तो व्यवसाय पर असर पड़ेगा। व्यापारी के सामने विकट स्थिति आ गई है। तेल से ही पूरा व्यवसाय जुड़ा है। इसमें असर होने से सभी चीजों के दाम में बढ़ोत्तरी हो रही है।

रसोई पर पड़ रही महंगाई की मार
इधर, गृहणियों की मानें तो लगातार महंगाई की मार रसोई पर पड़ रही है। बीते 2 साल से कोरोना महामारी से जनजीवन पर बहुत अधिक असर पड़ा। इसके बाद अब तेलों की बढ़ती कीमत ने परेशान कर दिया है। बढ़ती कीमतों से लोगों की जेब आधी हो गई है। आम आदमी की आय नहीं बढ़ी लेकिन खर्च बढ़ता जा रहा है, इससे पूरे घर का बजट बिगड़ गया है। बढ़ती तेल की कीमतों के फायदा रिटेलर अधिक उठा रहे हैं। रिटेलर प्रिंट एमआरपी से अधिक पर बिक्री कर रहे हैं। इसमें खाद्य विभाग भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। कई दुकानदार पुराने एमआरपी का तेल रखे हुए हैं मगर अब रेट बढ़ जाने से इसी तेल को एमआरपी से बढ़कर इसकी बिक्री कर रहे हैं।
ऐसा कई जगहों पर देखा जा रहा है लेकिन इसमें अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है।

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