छत्तीसगढ़

युवक ने क्यों पीया कलेक्टर के सामने जहर, जानें पूरा मामला…

बलौदाबाजार । संयुक्त जिला कार्यालय में जन चौपाल के दौरान युवक रोहन ने कीटनाशक का सेवन कर लिया। मामले की जानकारी मिलते ही युवक को कलेक्टर कलेक्टर ने तत्काल उपचार के लिए भेजा। उन्होंने मामले की एसडीएम को जांच कर रिपोर्ट 7 दिन के भीतर सौंपने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने बताया, रोहनदास मानिकपुरी ग्राम गाड़ापाली तहसील बिलाईगढ़ का निवासी है। रोहन का आवेदन आते ही बिना चर्चा किए अपने साथ लाए एक छोटी दवा की जैसी बोतल, जिसमें कीटनाशक था उसका सेवन कर लिया। जिला के समस्त अधिकारी वहां पर उपस्थित थे। घटना को देखते हुए उन्हें तत्काल जिला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उनका उपचार जारी है और खतरे से बाहर है। स्वास्थ्य में तेजी से सुधार जारी है। साथ ही उनके बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए है।

उनसे पूछताछ और आवेदन से सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली गई, जिसमे रोहन दास मानिकपुरी ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री रोजगार श्रृजन कार्यक्रम के अंतर्गत ऑनलाइन फार्म जमा किया था। टी. एफ. सी. की बैठक 3 फरवरी 2016 को भारतीय स्टेट बैंक गार्डन चौक बलौदाबाजार में हुआ, जिसमें उक्त प्रकरण का अनुमोदन हुआ। उक्त प्रकरण बैंक से रिजेक्ट कर दिया गया। आवेदक ने पुनः परिवार मूलक योजनान्तर्गत 30 अगस्त 2016 को कम्प्यूटर सेंटर के लिए ग्रामीण बैंक सरसीवां को प्रेषित किया गया। सरसीवां ग्रामीण बैंक ने मानिकपुरी को 50 हजार रु स्वीकृत किया।

उक्त प्रकरण का खादी ग्रामोद्योग बलौदाबाजार ने 21 मार्च 2017 को 13 हजार 5 सौ रु की सब्सिडी छ.ग. ग्रामीण बैंक सरसीवां को भेज दिया। शेष राशि बैंक को नही दी गई। इसके बाद मानिकपुरी ने W.P.(C) No-2149/2018 द्वारा खादी ग्रामोद्योग और शासन को पार्टी बनाया, जिसका विभाग ने हाईकोर्ट को जवाब दावा प्रस्तुत करने के लिए खादी ग्रामोद्योग बिलासपुर पंकज अग्रवाल सहायक संचालक ग्रामों. को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया था। प्रभारी अधिकारी ने समय-सीमा में जवाब दावा प्रस्तुत किया था।

13 जनवरी को अंतिम सुनवाई वी.सी. के माध्यम से की गई, जिसमें न्यायधीश ने प्रकरण को खारिज कर दिया और आदेशित किया कि वेंडर बिल जमा कर शेष राशि का भुगतान सीधे वेंडर को किया जा सके। आवेदक ने पी.एम.जी.पी में लेट होने के कारण परिवार मूलक दोनो में आवेदन किया, जिसमें परिवार मूलक में स्वीकृत 50 हजार रु. के सब्सिडी 13 हजार 500 रु को बैंक द्वारा उनके खाते में जमा कर दिया गया है। शेष राशि के संबंध में ग्रामीण बैक सरसींवा के मैनेजर ने बताया कि वह व्यक्ति हमे समान खरीद कर वेंडर या स्पालयर का बिल प्रस्तुत नही कर रहा है, जिस कारण हम उसे राशि हस्तांतरित नही कर पा रहे है। अगर वह आज भी बिल प्रस्तुत करता है तो हम सीधा शेष राशि वेंडर या स्पालयर को हस्तांतरित कर दी जाएगी। यही बात हमें हाईकोर्ट ने भी कहा है। इसके साथ ही कलेक्टर डोमन सिंह ने एडीएम राजेंद्र गुप्ता को जांच करनें के निर्देश दिए है। एवं उनका विस्तृत रिपोर्ट 7 दिन के भीतर प्रस्तुत करने कहा है।

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