साक्षर भारत योजना एक मिल का पत्थर
आलेख
आजाद भारत देश में रोजी रोटी और मकान की जरूरतें अब नही है। जरूरत है तो शिक्षा और समानता की, जो इतने प्रयासों और योजनाओं के बाद भी कही न कही कमी बनी हुई है। ऐसे ही भारत सरकार की एक महती योजना शुरू हुई जिसका नाम साक्षर भारत योजना है।जिसकी शुरुआत जनवरी 2012 में हुई थी। हर गाँव मे महिला और पुरुषों के बीच मे शिक्षा का अंतर है।इसी भेद को हटाने के लिए साक्षर भारत योजना एक मिल का पत्थर साबित हो रहा था। लेकिन अचानक 31 मार्च 2018 को इसे बंद कर दिया गया।तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार को भी इस साक्षर भारत के द्वारा की महत्वपूर्ण अवार्ड भी मिला। हर ग्राम पंचायत में एक महिला व एक पुरुष प्रेरक मात्र 2000 के अल्प मानदेय में गाँव के लोगों को शिक्षित और जागरूक बनाने के लिए रखा गया था।
ऐसे ही रायगढ़ जिले के सारंगढ़ ब्लॉक में ग्राम झलपाली में संतोषी चंद्रा पति- सुदामा चंद्रा, साक्षर भारत मे मिशन की एक सशक्त महिला के रूप में कार्य करती थी। यूँ अचानक योजना के बंद हो जाने से झकझोर कर रख दिया और रोजी रोटी के लाले पड़ गए। दो बच्चों की माँ होने के साथ ही इन्होंने अपने काम को खूब अंजाम दिया। रोजगार जाते ही अचानक बीमार हो चली और आर्थिक स्थिति सही न हो पाने की वजह से स्वर्ग सिधार गईं।
वर्तमान सरकार के जन घोषणा पत्र में प्रेरकों को समयोजना की बात कहे है। जिससे संघ को आस बंधा हुआ की साक्षर भारत योजना से जुड़े अन्य के परिवार के सदस्यों को प्रदेश के मुख्यमंत्री विखरने से पूर्व सुध लेंगे इसी उम्मीद के आश में ….
साभार – आलेख …लेखक के अपने निजी विचार