पर्वतीय ग्राम कुएमारी में अब कुओ से बहेगी विकास की जलधारा
मनरेगा से जिंदगी बदलने की जुगत : पर्वतीय ग्राम कुएमारी में अब कुओ से बहेगी विकास की जलधारा
बेहतर जल प्रबंधन और उन्नत कृषि के तालमेल से ग्रामीण होंगे लाभान्वित, मत्स्योत्पादन को भी मिलेगा बढावा – कलेक्टर
पानी की कमी दूर करने पांच हजार कुएं निर्माण की कवायद में लगा प्रशासन
कोण्डागांव,
‘अगर हम टिकाउ विकास की बात करे तो इन पहाड़ी क्षेत्रों के मूल पहलुओं पर ध्यान देना होगा। इस पठारी क्षेत्र के निवासी निरंतर प्राकृतिक चुनौतियों से लड़ते हुए और न्यूनतम संसाधनों के बावजूद वर्षो से गुजर-बसर करते आ रहे है परन्तु अब प्रषासन यहाँ के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।‘
जिला मुख्यालय से लगभग 72 कि.मी. दूरस्थ पर्वतीय गांव कुएंमारी (विकासखण्ड-केषकाल) में विगत् दिनांक 15 मई को पहुंचकर कलेक्टर नीलकंठ टीकाम ने ग्रामीणों के समक्ष उक्ताषय के विचार व्यक्त किए। अपने प्रेरणादायी संबोधन में ग्रामीणो से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पेयजल समस्या से निपटने हेतु सर्वप्रथम प्राकृतिक जल स्त्रोतो को सहेजने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि केशकाल की पहाड़ियां दंडकारण्य के पठार की दूसरी सबसे ऊंची पहाड़ी है जो की अपने मनमोहक घाटियों और सागौन के लिए वृक्षों के लिए प्रसिद्ध है। इन घाटियों से बारदा, भंवरडीह एवं दूध बड़ी नदियों का उद्गम होने के साथ इसमें चर्रे-मर्रे, मलाजकुडुम जैसे सूंदर जलप्रपात भी विद्यमान हैं। इन घाटियों के ऊपर कुएमारी, चेरबेड़ा, कुम्मुड़, मिरदे, भंडारपाल, माड़गांव, उपरबेदी, बेड़मामारी, रावबेड़ा जैसे अनेक जनजातीय गॉव बसे हैं। इन गांवों में रहने वाले सदियों से मुख्यधारा से अलग वनों में अपना गुजर बसर करते हैं। इनके आय के लिये मुख्य रूप से मानसूनी कृषि पर निर्भर करते हैं लेकिन इन क्षेत्रों में बाक्साइड की प्रचुरता, पठारीय एवं असमतल भूमि की वजह से यहां पर वनोत्पादों का भी अभाव रहता है। ऐसे में ये क्षेत्र जिले के अत्यंत पिछड़े इलाकों में शामिल हो जाते हैं।
पेयजल की दिक्कत है प्रमुख समस्या
उन्होंने जानकारी दी कि इन क्षेत्र वर्षा ऋतु में तो जल की मात्रा पर्याप्त होती है। जिससे ये कृषि कार्य सकुशलता से कर लेते हैं परन्तु सर्दियां आते सारा जल पहाड़ों के ढालों में बने अवनालिकाओं के माध्यम से घाटियों की ढलान से होता हुआ नदियों में विसर्जित हो जाता है ऐसे में वह क्षेत्र जो वर्षा ऋतु में जल की प्रचुरता से आह्लादित होता है वह ग्रीष्म ऋतु आते जल के अभाव में तरसता नजर आता है। ग्रीष्म ऋतु आते तक सम्पूर्ण जल अवनालिकाओं के माध्यम से घाटियों के तराई में पहुँच जाता है। ये वक्त इन वनवासियों के लिए अत्यंत कष्टप्रद समय होता है जहां इनके आजीविका हेतु ना इनके पास कृषि होती हैं ना ही वनोत्पाद ऐसे में यहां के लोग पलायन करने को ही एक मात्र उपाय मान दूसरे शहरों में व्यवसाय तलाश में जाते हैं जहाँ उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
समस्या से निपटने के लिए 5 हजार कुओं के निर्माण का है लक्ष्य
कलेक्टर ने आगे कहा कि इस क्षेत्र मे लगातार दौर करने के पश्चात ग्रामीणों द्वारा यहां की समस्याओं से अवगत कराया जाता रहा है जिसे देखते हुए उन्होंने जनपद, तहसील एवं अन्य संबंधित अधिकारियों से संयुक्त टीम बना कर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। जिसके सर्वोत्तम विकल्प के रूप में कलेक्टर ने 5000 कुओं के माध्यम से जलसंकट निवारण करने का आदेश दिया। जिसके अंतर्गत वर्तमान में 112 कुओं के मार्किंग का कार्य पूर्ण हो गया है।
कुओं से होगा क्षेत्र में भूमिगत जल संवर्धन
इस संबंध में कलेक्टर ने बताया कि ऊंचे चट्टानी इलाकों में जल सतह से ही अवनालिकाओं द्वारा बह कर नीचे उतर जाता है। इन क्षेत्रों में चट्टानी संरचना के कारण बोरवेल खनन कर जल की निकासी संभव नही होती। ऐसे में इन अवनालिकाओं को तोड़ इनके मार्ग में कुओं का निर्माण संपूर्ण केशकाल पहाड़ी क्षेत्र में किया जाएगा। जिससे मानसूनी वर्षा के साथ जो जल प्राप्त होता है उसका पहाड़ी ढालों में सीढ़ीनुमा बने कुओं में संरक्षण किया जाएगा। जिससे इन क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ने के साथ ही शुष्क मौसमों में पेयजल एवं निस्तारी हेतू जल भी ग्रामीणों को प्राप्त हो सकेगा साथ ही कृषक साल में दो से तीन फसलों का भी उत्पादन कर सकेंगे साथ ही मछली पालन को भी बढ़ावा मिलेगा। जिससे इस क्षेत्र की ना सिर्फ आय बढ़ेगी बल्कि सर्वांगीण विकास भी सुनिश्चित हो सकेगा। ज्ञात हो कि क्षेत्र के विकास के लिए पिछले 2 वर्षों में इसे सड़क मार्ग द्वारा जिले के मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए ‘लिंगोदेव पथ‘ का निर्माण किया जा रहा है जो भविष्य में इनके आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी बन कर उभरेगा।
मौके पर अध्यक्ष जिला पंचायत देवचंद मातलाम ने जिला प्रषासन द्वारा क्षेत्र में कुएं खुदवाने की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इस पर्वतीय इलाको में लगभग 22 गांव अलग-अलग जगह बसे हुए है। बाॅक्साइड खनिज की बहुलता के कारण यहां बोरवेल खनन कराना यहां लाभप्रद नहीं होता। इसके अलावा इसके कारण यहां के भूमिगत जल स्तर एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचने की आषंका है। अतः क्षेत्र में पेयजल समस्या एवं कृषि कार्य हेतु कुएं खुदवाने का कार्य ही एक मात्र विकल्प है साथ ही शासन की महत्वाकांक्षी ‘नरवा‘ योजना का सर्वोत्तम क्रियान्वयन यहां परिलक्षित होगा। इस दौरान स्थानीय सरपंच रुपजी राम ने बताया कि प्रषासन द्वारा जल प्रबंधन के अभिनव पहल के लिए प्रषासन को साधुवाद दिया जाना चाहिए। इससे न केवल पेयजल समस्या का हल होगा बल्कि हम सभी ग्रामीण वर्ष में 2 से अधिक फसल ले सकते है।
112 कुओं का मनरेगा द्वारा कार्य हुआ प्रारंभ
कुआं निर्माण के सम्बंध में केशकाल जनपद सीईओ एसएल नाग ने बताया कि जिला खनिज न्यास की निधि से ग्रामवासियों के हांथों मनरेगा द्वारा 5 हजार से अधिक कुओं का निर्माण किया जाना है। इसके लिए अभी 112 कुओं की मार्किंग पूर्ण कर इसमें खनन का कार्य चालू कर दिया गया है। इससे इन क्षेत्रों की पेयजल की समस्या दूर होने के साथ ग्रामीणों को रोजगार प्राप्ति भी होगी। इन 112 कुओं में ग्राम पंचायत कुँए के अंतर्गत ग्राम कुएं में 20 ग्राम चेरबेड़ा में 13, ग्राम कुम्मुड़ में 09, ग्राम मिरदे में 10, ग्राम पंचायत माड़गांव के अंतर्गत ग्राम माडगांव में 05, ग्राम भंडारपाल में 15, ग्राम कुधड़वाही 07 एवं ग्राम पंचायत रावबेड़ा के अंतर्गत ग्राम उपरबेदी में 12, बेडमा मारी में 15 कुओं का निर्माण किया जाना है। इसके अलावा कलेक्टर ने क्षेत्र में चल रहे विभिन्न निर्माण कार्य जैसे उपरचंदेली नाला पर निर्माणाधीन पुलिया सह स्टापडेम का भी निरीक्षण कर कार्य में गति लाने के निर्देष दिए साथ ही कलेक्टर एवं जिला पंचायत अध्यक्ष की उपस्थिति में ग्रामीणों द्वारा ग्राम कोरकोटी मार्ग में नवनिर्मित पुलिया सह स्टापडेम (ध्रुवापारा नाला) का शुभारंभ भी किया गया। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत डी एन कष्यप, एसडीएम डी.डी.मण्डावी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरुण शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।