स्व. लखीराम अग्रवाल छत्तीसगढ़ के ऐसे राजनेता रहे, जिनका राजनीतिक एवं सामाजिक सरोकार सीमाबद्ध कर नहीं आंका जा सकता । उनकी भारतीय जनसंघ के दिनों से भारतीय जनता पार्टी तक की सफल यात्रा में हजारों ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं की टोली सहित निर्बाध, निर्विवाद सफलता ने उन्हे आज भी भारतीय जनता पार्टी का सामान्य आधार स्तंभ बना रखा है। उनका जीवन लोकनीति व संगठन प्रेरणा के दृष्टी कोण से सदेव मील का पत्थर की भांति रहा ।
काका जी की 24 जनवरी को पुण्य तिथि रही, आज उनका जन्मदिवस है। वे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल मे रात्रि करीब 09 बजे हम सभी को छोड़ ईश्वरीय हो गए। हम सभी के लिए वे ऐसी अविरल उर्जा के स्त्रोत थे जिनकी प्रेरणा से जीवन के संघर्ष को धेर्य, सहजता के साथ व्यतीत करने की सीख मिलती है ।छत्तीसगढ़ में जनसंघ-भाजपा की इमारत को खड़े करने का श्रेय पूरी तरह से श्री अग्रवाल और उनके लम्बे समय के सहयोगी रहे कुशाभाऊ ठाकरे को जाता है. भाजपा का वर्तमान स्वरूप स्व. लखीराम जी काका जी की देन बताया जाता है, किन्तु वे सदेव कार्यकर्ताओ की मेहनत को ही सहजता से इसका श्रेय देते रहे | उन्होंने जीवन भर चुनौतियों का सामना किया और पार्टी हित में समर्पित रहे।उन्होंने कार्यकर्ताओं को हमेशा एकजुट रहने के साथ संगठन मजबूत करने की प्रेरणा दी। उनका कुशल नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं को हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा। अनेक महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक बने रहे। हम सबके अद्धेय, परम पूज्यनीय छत्तीसगढ़ के पितृ पुरूष स्व. लखीराम जी अग्रवाल (काका जी) ऐसे ही जीवंत प्रतीक है, जिन्होंने विकास पथ पर नव छत्तीसगढ़ के सूर्य रश्मियों को ऊर्जा दी और वे सदैव हम सभी को कर्म पथ पर उड़ान का संदेश देते रहे| काका जी के यात्रा के हर पहलु हमारे लिए प्रेरणा योग्य हैं। उनमें निर्णय लेने की अद्भुत शक्ति थी।उनका सादगीपूर्ण व्यवहार, जीवनशैली और स्नेह हमेशा सभी के मन में रहेगा, काकाजी सबके हृदय में बसे हैं। वे सभी के लिए समर्पण व अभिप्रेरण की प्रतिमूर्ति थे । जीवन भर उन्होंने अपने परिवेश की हर इकाई मजबूत बनाने और अभिप्रेरित करने का का काम किया। उनका अमूल्य योगदान भारतीय जनता पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
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“मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया और कहा कि पार्टी के पितृपुरूष स्व. लखीराम जी कार्यकर्ताओं के आदर्श हैं। उनका जीवन उपलब्धियों भरा रहा। शीर्ष पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी छोटी से छोटी जिम्मेदारी का निर्वहन किया और मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में हजारों कार्यकर्ताओं का निर्माण किया।”- द्वारा लक्ष्य -अमृत -2007
रायगढ़ जिले के व्यवसायिक नगरी खरसिया की नगर पालिका की से शुरु उनकी राजनैतिक सूझबूझ ने पुराने मध्यप्रदेश एवं वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में पार्टी को असाधारण ऊचाईयां तो दिलवाई ही , लखीराम भी इस यात्रा में भारतीय गणतंत्र के सर्वोच्च सदन संसद तक पहुंचे। देश का कदाचित ही ऐसा कोई शिखर राजनेता होगा जो स्व.श्री लखीराम अग्रवाल जी से अपरिचित हो । उन्हे व्यवसायिक सफलता में भी अग्रणी रहने का सौभाग्य एवं सुयश मिला । राजनिति में वे भाजपा की बुलंदियों तक पहुंचे ।
वर्ष 1977, 1990 व 2009 वे वाद 8 वर्षों के पार्टी शासन काल को छोड़कर देखे तो 21 वर्ष विपक्ष की राजनीति में गुजरे हैं। विगत 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ में पार्टी का जनाधार पर्याप्त विस्तारित मुकाम तक पहुंचाने का भागीरथ प्रयास करनें वालों में अग्रणी नाम लखीराम अग्रवाल का हैं। अलग राज्य बनने से पूर्व तत्कालिन मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ में पार्टी की बागडोर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से स्व.श्री लखीराम जी के हाथों रही । वे मध्यप्रदेश के भी पार्टी अध्यक्ष रहे । इनके बारे में इलाके में कहावत प्रचलित है कि स्व.श्री लखीराम अग्रवाल द्वारा जिस संस्थान , संस्था का भूमिपूजन अथवा उद्घाटन किया जाता है वह उसके सफलता एवं प्रगति के द्योतक बने रहे ।
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जिस समय कांग्रेस का एकछत्र राज्य रहता था । जनसंघ पार्टी का नाम लेने तक की हिम्मत लोग नहीं जुटा पाते थे । उस समय भी वे संघ, जनसंघ का झंडा बड़ी हिम्मत से पकड़ कर काम करते रहे जबकि ये एक प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवार के सदस्य थे। श्री अग्रवाल ने कर्मयोगी की तरह गाँव, शहर, आदिवासी अंचल में भ्रमण कर पार्टी की बुनियाद रखी । जनसंघ पार्टी के समय से ही गाँव – गाँव में पार्टी को मजबूत करने के लिये उनके द्वारा अनुकरणीय कार्य किया गया । उस समय पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को गांव में वो सम्मान नहीं मिलता था । उस समय छत्तीसगढ़ के ग्रामों में कांग्रेस का एकाधिकार था । लोग गांधी – नेहरु परिवार पर आस्था रखते थे । ऐसे समय में जब जनसंघ पार्टी के नाम पर गांवो के लोग घर की खिड़किया व दरवाजे बंद कर लिया करते थे । ऐसी कठिन परिस्थिति में उन्होने छत्तीसगढ़ में जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी को स्थापित नहीं किया वरन लहलहाती छत्तीसगढ़ भाजपा को अपने आगे की पीढ़ी को सौंपा। देश के राजनैतिक जीवन में अब ऐसे लोगों की कमी होती जा रही है, जो दिखाने के लिये नही वास्तव में सादा जीवन बिता रहे हो। अपने घोषित व्यापारों के मार्फत लखीराम अग्रवाल समूचे छत्तीसगढ़ तो क्या, पुराने मध्यप्रदेश के भी सबसे अभीर राजनितिज्ञ रहें ।
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प्रदेश में अपनी ओजस्वी वाणी के कारण लोकप्रिय रहे । छत्तीसगढ़ के कोने – कोने तक के क्षेत्रों से इनका गहरा नाता रहा । नगर पालिका, विधानसभा, लोकसभा की चुनावी नब्ज टटोलने का प्रवास अकसर होता रहा ।लखीराम जी सदैव जमीनी हकीकत और कार्यकर्ता की इच्छा के आधार पर निर्णय लेेने वाले नेता रहे ।
संगठनात्मक मूल्यों व मानदंड,जनसुविधा हेतु आचरण की शुचिता उनके जीवन की प्रथम व अंतिम प्राथमिकता थी | उतार – चढ़ाव में जीवन और संघर्ष के प्रतीकों के मध्य लक्ष्यों प्राप्ति हेतु उन्होंने आम कार्यकर्ताओ को हमेशा सजगता से कार्य करने हरतु प्रेरित किया । छत्तीसगढ़ में पार्टी का जनाधार विस्तारित मुकाम तक पहुंचाने का भागीरथ प्रयास करने वालों में अग्रणी है , इनका नाम । विषम परिस्थितियों में उन्होने जनसंघ एवं भाजपा को स्थापित किया । छत्तीसगढ़ राज्य के शिल्पी के रुप में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता । राजनीति के साथ – साथ सामाजिक एवं व्यवसायिक गतिविधियों में भी वे उच्च मूल्यों के पोषक रहें..सफलतम……. रहे । इनकी पहचान कभी किसी पद से नहीं रही, वे संगठन के लिए समर्पण व प्रयासों के जीवंत प्रेरक रहे।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में बनी भारतीय जनता पार्टी सरकार में पीछे जो अदृश्य शक्ति काम कर रही थी जिसने छत्तीसगढ़ की तकदीर और तस्वीर को बदलकर गाँव – गाँव के किसानों, निवासियों के हितों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया। उसके पीछे स्व.श्री लखीराम जी की प्रेरणा रही है । उनकी लोकनीति सत्ता का साधन नहीं बल्कि, सामाजिक उत्थान एवं विकास का श्रोत रही है। स्व.श्री लखीराम जी ने विषम परिस्थितियों में भी कार्यकर्ताओं को कभी निराश नहीं होने देते , बल्कि उनका संदेश सदैव यही रहता कि काम करते चलो।
छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी उनसे सीधे संपर्क स्थापित कर अपनी बात रखने में संकोच नहीं करता रहा। वे प्रत्येक कार्यकर्ता की बातें धैर्य से सुनते व दिशा निर्देश देते रहे । इन्होने छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन मघ्यप्रदेश के अनेक युवकों को उत्साहित कर राजनीति की कटीली राहों पर सम्हल – सम्हल कर चलना सिखाया, अनेक लोग सफलता पूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।
उन दिनों की बात है जब बालिका शिक्षा के लिये शासन की ओर से – ज्यादातर प्राथमिक शालाएं थी । उन्होने नगर पालिका खरसिया के अध्यक्षीय कार्यकाल में बालिकाओं के लिए हाईस्कूल की स्थापना की । इनके राजनैतिक जीवन की विशेषता में शैक्षणिक एवं ग्रामीण विकास के लिए प्रदेश एवं केन्द्रिय सरकारों को सुझाव दिया जो लागू कर दिये गये इसका लाभ छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश ही नहीं वरन पूरे भारत के लोगों को मिल रहा हैं ।
लखीराम अग्रवाल जिन्हे लखी भइया तथा युवाओं ने लखी काका नाम दिया, इनका जन्म 13 फरवरी 1932 को छत्तीसगढ़ के खरसिया नगर में प्रतिष्ठित – समाजसेवी मंशाराम अग्रवाल के सुपुत्र के रुप में हुआ, इनकी माताश्री का नाम श्रीमती रुकमणि देवी था । इनका बचपन प्रमुख रुप से छत्तीसगढ़ के खरसिया एवं बिहार प्रांत के झरिया नामक स्थान में अपनी बुआ के यहां बीता। प्राथमिक शिक्षा खरसिया में पूरी करने पश्चात ऊपर की शिक्षा के लिये वे झरिया चले गये, जहां उन्होने अपना शैक्षणिक जीवन पूर्ण किया। विद्यार्थी जीवन में ही इनका संपर्क राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से श्री बैजनाथ अग्रवाल जो झरिया के एक वरिष्ठ स्वयं सेवक थे , के प्रयास से हुआ, और वे नियमित रुप से संघ की शाखा में उपस्थित होने लगे । ये बातें 1946 की है, जब देश में अंग्रेजी हुकूमत चल रही थी क्राग्रेस की , लखीराम अग्रवाल जी 1960 के बाद के दशक में पूरी तरह राजनीति में रम गये तब से अंतिम समय तक अनेक उतार चढ़ाव देखा। इनकी क्षमता का उपयोग भाजपा में 1981 में जनसंघ, जनता पार्टी से अलग होकर भाजपा का संगठन छत्तीसगढ़ में ही नहीं वरन मध्यप्रदेश में खड़ा किया उन दिनों कांग्रेस सत्तारुढ़ थी । सन् 1988 के एतिहासिक खरसिया उपचुनाव में तत्कालिन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह कांग्रेस के चाणक्य कहलाने वाले को व्यूह रचना में बांध दिया । दिलीप सिंह जूदेव जैसे कद्दावर नेता सामने लाया । भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को प्रभावित किया । प्रदेश भाजपा अध्यक्ष , 12 वर्षो तक निश्कलंक राज्ससभा सदस्य के रुप में अपनी छाप छोड़ी । छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के औचित्य को सिद्ध करने एवं पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों की समस्याओं का निराकरण हेतु अनेक सांसदों को साथ लेकर संसद में आवाज उठाई ।
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राज्यसभा सदस्य में रुप में इन्होने बिलासपुर , रायगढ़ , जशपुर , सरगुजा , कोरिया , बस्तर सभी पुराना राजस्व जिले जैसे बनवायी , पिछले क्षेत्रों में विकास के लिए सतत योगदान दिया । राष्ट्रीय भाजपा नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी , लाल कृष्ण आडवाणी , कुशाभाऊ ठाकरे , सुन्दर लाल पटवा , उमा भारती , प्रमोद महाजन , राजनाथ सिंह , आदि नेता इनकी वाकपटुता स्पष्टवादिता से प्रभावित थे । इनकी पत्नि मरवण देवी जी समाज सेवी एवं सफल गृहणी की छाप छोड़ी हैं । 24 जनवरी 2009 को हम सभी छोड़कर स्वर्ग सिधार गये । छत्तीसगढ़ की भाजपा के मजबूत आधार स्तंभ की पूर्ति की दिशा में अमर अग्रवाल संप्रति बिलासपुर के विधायक के साथ छत्तीसगढ़ शासन में महत्तवपूर्ण मंत्री पद पर कार्य करते स्वास्थ महकमें के द्वारा गरीब परिवारों के ईलाज व्यवस्था में अनेक योजनायें क्रियान्वित कर , उनके के छोड़े गए कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसमें भाजपा सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं ।