हमर बाड़ी में लगे हे आलू,प्याज,टमाटर अउ लौकी गांव में आवत हे खुशहाली और तरक्की
हमर बाड़ी में लगे हे आलू, प्याज, टमाटर अउ लौकी
गांव में आवत हे खुशहाली और तरक्की
शासन की नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना बनी महिलाओं के लिए मददगार
मेहनतकश महिलाओं ने सामूहिक खेती के साथ ही गौठान में गमला निर्माण कर आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ाये हैं कदम
रायगढ़, 18 फरवरी 2020/ जिले की मेहनतकश महिलाओं ने अपनी लगन और हौसले से आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाये है। शासन की नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना इसमें मददगार बनी है। जहां एक ओर महिलाएं सामूहिक खेती के लिए आगे आयी है वहीं शासन की योजना के तहत विभिन्न कार्य करते हुए स्वावलंबी बन रही है। विकासखण्ड बरमकेला के मॉडल गौठान हिर्री में ग्राम्य श्री महिला समूह द्वारा गमला निर्माण एवं वर्मी कम्पोस्ट एवं जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। वहीं गौठान के घेराव के लिए गुणवत्तायुक्त आरसीसी पोल 1100 नग गौठान में ढलाई कर तैयार किया गया है। समूह की महिलाओं ने गमला मशीन खरीदकर गमला निर्माण किया है और स्थानीय बाजार में विक्रय कर रही हैं। समूह की महिलाओं द्वारा 20 क्ंिवटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर किसानों को खेती कार्यों के लिए भी बिक्री की जा रही है, जिससे समूह की महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है।
पुसौर विकासखण्ड के ग्राम तरडा में गौठान परिसर में प्रतिमा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 1.50 एकड़ में बाड़ी विकास कार्य किया जा रहा है। समूह की 13 सदस्यों ने इस बंजर भूमि में बाड़ी विकास का कार्य कर आलू, प्याज, टमाटर, बरबटी, लौकी एवं अन्य सब्जियों की खेती की गई है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है।
पुसौर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत पुसल्दा में गौठान महिला समूह द्वारा दो एकड़ में आलू की खेती की गई है। बंजर भूमि में क्यारी तैयार कर जोताई एवं पानी की व्यवस्था कर आलू की खेती करने का बीड़ा समूह की 12 महिला सदस्यों ने उठाया और इसमें सफलता हासिल की। समूह खेती के साथ-साथ 5 नाडेप टैंक में गोबार खाद भी जमा किया जा रहा है, जिससे गौठान में जैविक खाद भी तैयार हो रहा है।
ग्राम पण्डरीपानी के आश्रित ग्राम फूलबंधिया में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 3 एकड़ में चारागाह विकास किया गया है। चारागाह में नेपियर घास लगाया गया है, गौठान में आने वाले पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के अतिरिक्त बचे हरा चारा को किसान को विक्रय किया जाता है। इसी तरह कोसमनारा, कोसीर एवं अन्य गौठान में बाड़ी एवं चारागाह विकास किया जा रहा है।