दोना-पत्तल बनाकर महिलाओं ने किया 2 लाख रुपये का कारोबार
इस सफलता से समूह को मिली पहचान, गाँव की अन्य महिलायें भी हो रही प्रेरित
रायगढ़-कामाक्षी स्व-सहायता समूह की 11 महिलाओं ने दोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया। आज उनका यह काम सफल व्यवसाय में तब्दील हो चुका है। जिससे उन्होंने 02 लाख रुपये की आय अर्जित की। साथ ही समाज में भी अपनी अलग पहचान बनायी। उनकी इस सफलता से गांव एवं आसपास की अन्य महिलायें भी उनसे प्रेरित हो रही है।
जिले के तमनार विकासखण्ड के ग्राम-सरायपाली के 11 महिलाओं ने कामाक्षी महिला स्व-सहायता समूह बनाया। शुरुआत में पूंजी के लिए महिलाओं ने आपसी बचत का सहारा लिया और जरूरत के समय छोटे ऋण के माध्यम से अन्य सदस्यों की मदद करती थी। आजीविका के बारे में प्रत्येक सदस्य कुछ करना चाहती थी, लेकिन व्यक्तिगत रूप से उनके पास आजीविका शुरू करने के लिए पर्याप्त पूंजी और पूर्ण जानकारी नहीं थी। इसलिए उन्होंने सामूहिक रूप से कुछ व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने बिहान योजनांतर्गत प्रदान के माध्यम से आजीविका के बारे में जानकारी मिली। महिलाओं ने दोना पत्तल बनाने का काम शुरू करने का सोचा। आवश्यक मशीनरी की जानकारी भी महिलाओं को दी गयी। इसके लिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपये के बैंक ऋण के लिए आवेदन किया। बिहान के नियमानुसार पंचसुत्र का पालन करते हुए कामाक्षी समूह के सदस्यों ने आपसी लेन-देन और बैंक के साथ नियमित लेन देन जारी रखा और साथ ही हिसाब रजिस्टर लिखा। जिसे देख कर बैंक से लोन पास हुआ। लोन से प्राप्त राशि से उन्होंने दोना-पत्तल बनाने की मशीन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदी की और सफलतापूर्वक प्लेट बनाने का व्यवसाय गांव में शुरू किया।
सभी सदस्य हर दिन दो से तीन घंटे काम करते हैं और दोना व पत्तल बनाते हैं। वे आम तौर पर गांव, आसपास के गांवों और रायगढ़ में अपने उत्पाद बेचते हैं। अब तक वे 2 लाख रुपये का कारोबार कर चुके है और उनके पास बिक्री के लिए करीब 10-20 हजार का स्टॉक है। भविष्य में बेहतर व्यवसाय की उम्मीद कर रहे हैं। सदस्यों के बीच आपसी समझ, एकजुटता और जिम्मेदारियां निभाने की सामूहिक भावना से व्यवसाय सफल हुआ।