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रायगढ़ में हीरे की तलाश, जीएसआई करेगा जी-4 लेबल का सर्वे…

सेंट्रल रीजन के लिए बना प्लान, पूर्व में निजी कंपनियों के सर्वे से मिले आंकड़ों पर आगे बढ़ेगा काम

रायगढ़। सब कुछ सही रहा तो आने वाले सालों रायगढ़ जिले में हीरे की खदान भी शुरू हो सकती है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने सेंट्रल रीजन के लिए प्लान तैयार किया है। जी-4 लेवल का सर्वे किए जाने की चर्चा हो रही है।

वर्ष 2015 तक भूगर्भ में हीरा और सोना की उपलब्धता पता करने के लिए प्राइवेट कंपनियों को आवंटन होता था। कंपनियां ही इन खदानों को डेवलप करने के लिए निवेश करती थी। लेकिन 2015 से यह प्रक्रिया बदल गई है। अब इस तरह के ब्लॉक्स नीलामी के जरिए ही आवंटित किए जाने हैं। इसलिए प्राइवेट कंपनियों ने सर्वे बंद कर दिया है। अब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम सर्वे का काम कर रही है। रायगढ़ जिले के दो ब्लॉकों में हीरे की मौजूदगी के संकेत मिले थे। प्रारंभिक हवाई सर्वे की रिपोर्ट में मिले इनपुट के आधार पर अब जीएसआई आगे सर्वे करने वाली है। वर्ष 21-22 के सेंट्रल रीजन के प्लान में रायगढ़ जिला भी शुमार है। दरअसल जीएसआई को हर साल का प्लान बनाना होता है। उस वर्ष जीएसआई की टीमें उन्हीं क्षेत्रों में सर्वे करती है। मिली जानकारी के मुताबिक हवाई सर्वे एक प्राईवेट कंपनी द्वारा किया गया था। उसी की रिपोर्ट में बताया गया था कि उर्दना, तारापुर, जैमुरा, कोंड़ातराई, रेंगालपाली, देवलसुर्रा, तेतला और आस-पास के गांवों में भूगर्भ में हीरा मौजूद हो सकता है। इसलिए अब जीएसआई की टीम जी-4 लेवल का सर्वे कर सकती है।

कितने अनुपात में है खनिज, यह देखना जरूरी
जीएसआई चार तरह से सर्वे करती है। जी-4 में बोरहोल से सर्वे होता है लेकिन इनके बीच दूरी बहुत अधिक होती है। रैंडमली किसी भी जगह का चयन कर सर्वे किया जाता है। जीएसआई यह देखेगी कि जमीन में कितनी गहराई में किस अनुपात में खनिज उपलब्ध है। अगर यह कम अनुपात में है तो खनन की लागत बहुत अधिक होगी।

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