रायगढ़

प्यास बुझाने आया था चौसिंघा, श्वानो ने किया हमला,हुई मौत…

प्यास बुझाने आया था चौसिंघा, श्वानो ने किया हमला, ह

Advertisement
ुई मौत

तीन दिनों में दो वन्यप्राणियों की मौत
गोमर्डा अभ्यारण्य क्षेत्र की घटना
गोमर्डा अभ्यारण्य में भले ही अधिकारी पानी की टंकियों को टैंकरो से भरा रहे हैं, पर जब कभी कोई वन्यप्राणी जंगल से भटक कर गांव तक पहुंच जाता है, तो उसकी मौत का कारण आवारा कुत्ते बन जाते हैं। आज भी कुछ इसी तरह का मामला गोमर्डा अभ्यारण्य क्षेत्र में देखने को मिला। जहां सुबह एक चौसिंघा सराईपाली गांव के तालाब के किनारे संभवतः पानी पीने के लिए पहुंचा था। तभी आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई।
इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक गुरूवार की सुबह गोमर्डा अभ्यारण्य के सराईपाली उत्तर बीट से एक चौसिंघा जंगल से भटककर सराईपाली गांव के करीब तालाब में पानी पीने के लिए पहुंचा। तभी आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे दौड़ाना शुरू कर दिया और उस पर हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मामले की जानकारी वन अमला को दी गई। जहां वनकर्मी मौके पर पहुंचे और मृत चौसिंघा का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया। इसके बाद घने जंगलो के बीच उसे मांसाहारी वन्यप्राणियां के भोजन के लिए छोड़ा गया और आगे की कागजी प्रक्रिया पूरी की गई। यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि कुत्तों के हमले से हर साल गोमर्डा अभ्यारण्य सहित पूरे वन मंडल में दर्जनों वन्यप्राणियों की मौत हो जाती है। इसके बाद भी विभाग के उच्चाधिकारियों के द्वारा आवारा कुत्तों की समस्या को दूर करने की कोशिश नहीं की जा रही है। तीन दिनों में दो वन्यप्राणियों की मौत कुत्तों की वजह से हो गई। करीब दो दिन पहले बोइरदादर बीट में कुत्तों ने एक चीतल को मार डाला तो अब अभ्यारण्य में चौसिंघा पर कुत्तों ने हमला कर उसकी जान ले ली।
कौन है इन मौतों का जिम्मेदार!
वन्यप्राणियों की लगातार मौते हो रही है, पर इसका कारण गर्मियों में जितना कुत्ते बन रहे हैं। वहीं उतना ही जिम्मेदार परिसर रक्षकों को भी माना जा सकता है। बीटगार्ड नियमित रूप से अभ्यारण्य के जंगलो में भ्रमण करते व वन व वन्यप्राणियों को बचाने के उद्देश्य से ग्रामीणों के संपर्क में लगातार रहे तो कई प्रकार के वन अपराधों को रोक सकते हैं। जानकारों का कहना है कि कई परिसर रक्षक गांव या जंगल ही नहीं जाते हो इस वजह से उन्हें आवारा कुत्तों व वन अपराधियों की जानकारी ही नहीं होती है और जंगल से वन्यप्राणी भटकने के बाद कुत्तों या फिर शिकारियों का शिकार बन जाते हैं। प्यास बुझाने आया था चौसिंघा, कुत्तो ने किया हमला, हुई मौत
तीन दिनों में दो वन्यप्राणियों की मौत
गोमर्डा अभ्यारण्य क्षेत्र की घटना
रायगढ़। गोमर्डा अभ्यारण्य में भले ही अधिकारी पानी की टंकियों को टैंकरो से भरा रहे हैं, पर जब कभी कोई वन्यप्राणी जंगल से भटक कर गांव तक पहुंच जाता है, तो उसकी मौत का कारण आवारा कुत्ते बन जाते हैं। आज भी कुछ इसी तरह का मामला गोमर्डा अभ्यारण्य क्षेत्र में देखने को मिला। जहां सुबह एक चौसिंघा सराईपाली गांव के तालाब के किनारे संभवतः पानी पीने के लिए पहुंचा था। तभी आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई।
इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक गुरूवार की सुबह गोमर्डा अभ्यारण्य के सराईपाली उत्तर बीट से एक चौसिंघा जंगल से भटककर सराईपाली गांव के करीब तालाब में पानी पीने के लिए पहुंचा। तभी आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे दौड़ाना शुरू कर दिया और उस पर हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मामले की जानकारी वन अमला को दी गई। जहां वनकर्मी मौके पर पहुंचे और मृत चौसिंघा का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया। इसके बाद घने जंगलो के बीच उसे मांसाहारी वन्यप्राणियां के भोजन के लिए छोड़ा गया और आगे की कागजी प्रक्रिया पूरी की गई। यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि कुत्तों के हमले से हर साल गोमर्डा अभ्यारण्य सहित पूरे वन मंडल में दर्जनों वन्यप्राणियों की मौत हो जाती है। इसके बाद भी विभाग के उच्चाधिकारियों के द्वारा आवारा कुत्तों की समस्या को दूर करने की कोशिश नहीं की जा रही है। तीन दिनों में दो वन्यप्राणियों की मौत कुत्तों की वजह से हो गई। करीब दो दिन पहले बोइरदादर बीट में कुत्तों ने एक चीतल को मार डाला तो अब अभ्यारण्य में चौसिंघा पर कुत्तों ने हमला कर उसकी जान ले ली।

कौन है इन मौतों का जिम्मेदार

वन्यप्राणियों की लगातार मौते हो रही है, पर इसका कारण गर्मियों में जितना कुत्ते बन रहे हैं। वहीं उतना ही जिम्मेदार परिसर रक्षकों को भी माना जा सकता है। बीटगार्ड नियमित रूप से अभ्यारण्य के जंगलो में भ्रमण करते व वन व वन्यप्राणियों को बचाने के उद्देश्य से ग्रामीणों के संपर्क में लगातार रहे तो कई प्रकार के वन अपराधों को रोक सकते हैं। जानकारों का कहना है कि कई परिसर रक्षक गांव या जंगल ही नहीं जाते हो इस वजह से उन्हें आवारा कुत्तों व वन अपराधियों की जानकारी ही नहीं होती है और जंगल से वन्यप्राणी भटकने के बाद कुत्तों या फिर शिकारियों का शिकार बन जाते हैं।

Advertisement
Advertisement
Show More

Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!