समर्थन मूल्य पर हो चुकी है तीन करोड़ टन धान की खरीद, जावड़ेकर का दावा- पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान ज्यादा एमएसपी पर बेचा

नई दिल्ली। कृषि सुधार के कानूनों के खिलाफ पंजाब व हरियाणा के किसान आंदोलन के बीच खरीफ सीजन की उपज की खरीद अपने चरण पर है। धान की सरकारी खरीद का आंकड़ा तीन करोड़ टन को पार कर गया है जो पिछले साल के मुकाबले 18 फीसद अधिक पहुंच गई है। धान की यह खरीद घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो रही है। धान की इस खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी सर्वाधिक 2.02 करोड़ टन है, जो पिछले साल के मुकाबले 64.18 फीसद अधिक है।
खरीफ फसलों की खरीद निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सभी धान उत्पादक राज्यों में की जा रही है। जिन राज्यों में खरीद हो रही है, उनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू व कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, और महाराष्ट्र प्रमुख हैं। अब तक कुल 3.16 करोड़ टन हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि तक 2.66 करोड़ टन धान की खरीद हो सकी थी। सरकारी खरीद का लाभ कुल 29.37 लाख किसानों को मिल चुका है।
जबकि विभिन्न राज्यों से कुल 45.24 लाख टन दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद का प्रस्ताव आया था। इनमें तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश प्रमुख राज्य हैं। इन फसलों का खरीद मूल्य समर्थित योजना के तहत हो रही है। मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की खरीद तेजी से हो रही है। इसका लाभ गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के किसानों को मिला है।
पंजाब में धान की भारी खरीद पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें पंजाब के आम किसानों के हितों को देखना चाहिए। उन्होंने बढ़ चढ़कर एमएसपी पर धान की बिक्री की है। उन्होंने किसानों से भी इन विपक्षी दलों से दूर रहने और भ्रमित होने से बचने की अपील की है। जावडेकर ने दिल्ली में पंजाब के किसानों के आंदोलन के बीच यह बात कही।
आंदोलन कर रहे किसान हाल ही में बनाए गए कृषि सुधारों के केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे हैं। जावडेकर ने कहा कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। एमएसपी से सरकार पीछे नहीं हटेगी और न ही मंडी प्रणाली को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कृषि सुधार के कानूनों के बारे में बताया कि आम किसान अब खुशी खुशी अपनी उपज को मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकता है। व्यापारी किसान के घर जाकर खरीद कर सकता है।
कांट्रैक्ट खेती के प्रावधान से किसान को अपनी फसल की बोआई से पहले ही उपज के मूल्य की जानकारी हो जाएगी। कानून में सख्त प्रावधान किया गया है कि उसे कोई भी कंपनी अथवा व्यक्ति बाध्य नहीं कर सकता है।



