तकनीक के क्षेत्र में कम नहीं है भारत, इसलिए गणतंत्र दिवस पर हो ‘जय विज्ञान’
साल 2020 जब आया तो अपने साथ कोरोना या कोविड-19 नाम की महामारी भी लेकर आया। पूरा साल लॉकडाउन और अनलॉक के बीच ही बीत गया। इस महामारी का मुकाबला वैज्ञानिकों के बगैर करना तो दूर सोचना भी मुश्किल था। हमारे देश और दुनिया के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, शोध और नवोन्मेषण का ही नतीजा है कि एक वर्ष के भीतर दुनिया ने इस महामारी से लड़ने के लिए टीका विकसित कर लिया है। और तो और हमारे देश समेत दुनिया के कई देशों में टीकाकरण भी शुरू हो चुका है।
इसी कोरोनाकाल में जब गणतंत्र दिवस आया तो अमर उजाला ने तय किया कि इसे ‘जय विज्ञान’ थीम के साथ मनाया जाए। हमने भारतीय आविष्कारों और वैज्ञानिक विकास को सरल भाषा में अपने पाठकों को पढ़ाने के लिए जय विज्ञान के तहत कई विषयों पर खबरें और जानकारीपरक आलेख तैयार किए हैं। इसमें जीवन के लगभग सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में विज्ञान के योगदान को बताने का प्रयास किया गया है।
हमारी इस पहल का उद्देश्य केवल यह समझाना है कि मानव सभ्यता और हमारा देश आज जहां तक पहुंचा है, उसमें विज्ञान और वैज्ञानिकों का योगदान किसी से भी कम नहीं है। देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए सैन्य जवान महत्वपूर्ण हैं। पेट भरने के लिए अन्न चाहिए, जो किसान अपने खून-पसीने से सींचकर खेतों में उगाता है। और इन दोनों क्षेत्रों को धार विज्ञान और तकनीक ही देती है। इसके आलाव रोजमर्रा के जीवन में विज्ञान और तकनीकी की उपस्थिति से हम सभी वाकिफ हैं।
हमारे देश के तीसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी ने एक नारा दिया था, जय जवान जय किसान। अब इसमें विज्ञान भी जुड़ चुका है। इसलिए जय जवान जय किसान के साथ जय विज्ञान भी कहा जाता है। हमे आशा है कि आपको हमारी यह प्रस्तुति पसंद आएगी। आपके फीडबैक का हमें इंतजार है।