सुरक्षा कवच के साथ एक साल में महामारी से जंग पहुंची निर्णायक दौर में
डब्ल्यूएचओ की ओर से पहला ईमेल 5 जनवरी, फिर 8 जनवरी और तीसरा मेल 15 जनवरी को मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय शीर्ष अधिकारियों की बैठक 16 जनवरी को शुरू हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने बताया कि कोरोना नामक एक संक्रामक रोग है चीन के वुहान में मिला है। यह संक्रामक रोग फैलने वाला नहीं है।यह वैश्विक महामारी भी नहीं बनेगा। हालांकि उस वक्त डब्ल्यूएचओ की ओर से मिली जानकारी के आधार पर ही सचिव ने यह बयान दिया था।
केंद्र सरकार ने पहली बार सार्वजनिक बयान जारी किया
18 जनवरी के अंक में अमर उजाला ने सबसे पहले कोरोना की हलचल को अपने पाठकों तक साझा किया था। 18 जनवरी को ही भारत सरका ने पहली बार कोरोना पर सार्वजनिक रूप से बयान जारी किया था और उसी दौरान विदेश ने आने वाले यात्रियों की जांच विभिन्न हवाई अड्डों पर शुरू की गई। विदेशों से आने वाले यात्रियों ने थर्मल स्क्रीनिंग से बचने का तरीका भी खोज निकाला। भारत आने से चंद मिनट पहले ही पैरासिटामोल दवा का सेवन कर तकनीक को धोखा दिया।
वैज्ञानिकों का मनोबल नहीं तोड़ पाया कोरोना
21 जनवरी 2020: पहली बार पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी(एनआईवी) की लैब में वैज्ञानिक बिना अवकाश लिए अनजान शत्रु से लड़ने की तैयारियों में जुटे रहे। हर बार सोच से विपरीत असर दिखाने वाले कोरोना ने वैज्ञानिकों को हराया लेकिन उनका मनोबल नहीं टूटा। सबसे पहले कोरोना की जांच पर ध्यान दिया गया। देश की एक भी लैब इस लायक नहीं थी। जांच किट्स को तैयार किय गया और इस बीच कोरोना वायरस को आइसोलेट भी करलिया, जिसके जरिए आज भारत के पास खुद का स्वदेशी टीका मौजूद है।
महामारी की गंभीरता समझने में राज्य काफी वक्त लगा गए
18 जनवरी: जब भारत सरकार ने पहली बार कोरोना पर प्रेस रिलीज जारी की थी उसमें साफ बताया गया कि भारत के राज्य संक्रामक बीमारी का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
लेकिन सच ये है राज्य महामारी की गंभीरता समझने में वक्त लगा गए।मार्च में होली के चंद दिन बाद जब मामले बढ़ना शुरू हुए तो 21 मार्च 2020 को लॉकडाउन का फैसला किया। उसके बाद 24 मार्च से कोरोना की लड़ाई तेज हुई। आज ठीक एक साल बाद हम लड़ाई में इतने आगे आ चुके हैं कि भारत के पास एक खुद का टीका है और देश के तीन करोड़ लोगों का टीकाकरण शुरू हो चुका है।