✨ चार धाम यात्रा ✨

22 अक्टूबर 2025 से…
खरसिया से हरिद्वार रेल मार्ग… और नई सुबह की शुरुआत
खरसिया से चली गाड़ी जैसे ही हरिद्वार पहुँची, मन में तीर्थयात्रा का पहला कंपन महसूस हुआ। रेल मार्ग के सफर ने थकान तो दी, लेकिन हरिद्वार पहुँचकर रात्रि विश्राम के बाद अल सुबह जब मिनीबस की खिड़की से पहली किरणें भीतर आईं—मानो संकेत था कि यात्रा अब सचमुच शुरू हो चुकी है।
सड़क पर हल्की ठंड, हवा में गंगा घाटों की आहट और मन में अद्भुत उत्साह…
यही चार धाम का पहला आशीर्वाद था।
कहानी हमेशा सुन्दर ही नहीं होती—
कभी-कभी वह रोचक घटनाओं, अनपेक्षित मोड़ों और अनुभवों के रंगों से इतनी भरी होती है कि जीवन का नया अर्थ दे जाती है।
चार धाम की यह यात्रा भी कुछ ऐसी ही रही…
जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति ने चकित किया,
हर पड़ाव पर श्रद्धा ने सिर झुकाया,
और हर कठिनाई ने मन को और दृढ़ बनाया।
मिनीबस पहाड़ों की ओर बढ़ रही थी।
नीचे भागती सीढीनुमा खेतियाँ, ऊपर बादलों की घाटियाँ, बीच में हम—जैसे प्रकृति ने अपनी गोद में बैठा लिया हो।
कुछ साथी नींद में, कुछ संगीत में, और कुछ अपने भीतर के भावों में खोए हुए थे।
यात्रा अभी शुरू ही हुई थी, पर मन को लग रहा था—
“यह सिर्फ रास्तों का सफर नहीं, यह आत्मा का भी तीर्थ है।”
खरसिया। श्रद्धा,आस्था और आत्मिक साधना से परिपूर्ण पावन चार धाम यात्रा का संकल्प लेकर खरसिया से श्रद्धालुजन 22 अक्टूबर 2025 को कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस द्वारा हरिद्वार के लिए प्रस्थान हुए। यह यात्रा केवल देवस्थलों की परिक्रमा नहीं,बल्कि भक्ति,साधना और आत्मिक उन्नयन का अद्भुत अवसर सिद्ध हुई।
🚩 हरिद्वार से हुआ आरंभ

24 अक्टूबर की सुबह गंगा तट पर बसे हरिद्वार पहुँचकर श्रद्धालुओं ने हर-की-पौड़ी में गंगा स्नान कर आरती में सहभागिता की। दीपों की झिलमिलाहट से मानो माँ गंगा स्वयं आशीर्वाद प्रदान कर रही थीं।
🛕 प्रथम धाम – यमुनोत्री

कठिन चढ़ाई और हिमालयी दृश्यों के बीच माँ यमुना धाम के दर्शन कर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। तप्तकुण्ड स्नान व माता की पूजा ने इस पड़ाव को अविस्मरणीय बना दिया।
🛕 द्वितीय धाम – गंगोत्री

भगीरथी की निर्मल जलधारा और हिमालय की गोद में स्थित गंगोत्री धाम में श्रद्धालुओं ने माँ गंगा के उद्गम स्थल पर पापों का क्षालन कर आत्मिक शांति का अनुभव किया।
🛕 माँ धारी देवी के दर्शन

गंगोत्री के उपरांत अलकनंदा तट पर विराजमान माँ धारी देवी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यहाँ की दिव्य ऊर्जा ने आगे की यात्रा को सहज और सुखद बनाया।
🛕 तृतीय धाम – केदारनाथ

पैदल,हेलिकॉप्टर,पैदल यात्रा में हिमशिखरों से आच्छादित घाटियों में स्थित बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए जीवन का सर्वाधिक भावनात्मक क्षण रहा। प्रातःकालीन पूजा-अर्चना में सम्मिलित होकर सभी ने भगवान महादेव के चरणों में जीवन का समर्पण किया।

🚩 त्रिगुणी नारायण

केदारनाथ से लगभग 25 किमी दूरी पर स्थित त्रिगुणी नारायण मंदिर का दर्शन भी किया गया। यहीं भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। अग्निकुंड,जहाँ की अग्नि आज भी प्रज्वलित है,श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।

हिमालयी वादियों और चौखम्बा पर्वत की झलक ने सभी का मन मोह लिया।
🛕 चतुर्थ धाम – बद्रीनारायण

चारधाम यात्रा का अंतिम और सर्वोच्च पड़ाव बद्रीनाथ धाम रहा। नर-नारायण पर्वतों के बीच स्थित भगवान विष्णु के इस पावन धाम के दर्शन से सभी श्रद्धालु अद्वितीय शांति और आनंद से भर उठे।
👥 यात्रा में शामिल श्रद्धालु
गेंद लाल श्रीवास, वासु श्रीवास, हेमन्त कुमार पटेल, श्रीमती शारदा पटेल, कमलेश पटेल, भानु प्रताप पटेल, श्रीमती सुकांती पटेल, आशीष पटेल, श्रीमती बुदकुंवर पटेल, श्रीमती मंजु पटेल, कृष्णा पटेल, कृष्ण कुमार पटेल, मुकेश कुमार डनसेना UK 08 PA के चालक किट्टू एवं स्वयं गोपाल कृष्ण नायक “देहाती” इस यात्रा में देवाधिदेव,मातारानी,मां गुरु का आर्शीवाद सुक्ष्म रुप में सहभागी रहे।
🙏 क्षमा प्रार्थना
यात्रा के दौरान साथ रहे सभी श्रद्धालुओं के प्रति गोपाल कृष्ण नायक “देहाती” ने आभार व्यक्त करते हुए कहा – “यदि मेरे मन,वचन या कर्म से किसी को तनिक भी कष्ट पहुँचा हो तो कृपया मुझे नादान बालक समझकर क्षमा करें। आपका स्नेह,दुलार और आशीर्वाद ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी है।”

✍️ गोपाल कृष्ण नायक “देहाती”



