खरसिया

…अंधविश्वास का अंधेरा

अंधविश्वास मन-मस्तिष्क में इतना गहरा असर छोड़ता है कि जीवनभर व्यक्ति अंधविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता…

भूत-प्रेत में विश्वास रखना एक बहुत बड़ा अंधविश्वास है…

– फोटो : file photo

अंधविश्वास का अंधेरा

आओ तर्क करें : आज विज्ञान का युग है। हम विज्ञान की खोजों तथा आविष्कारों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। फिर भी हमारे समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी निर्मूल धारणाओं और अंधविश्वासों से घिरा हुआ है। इनमें अशिक्षित और पढ़े-लिखे दोनों ही प्रकार के लोग शामिल हैं।

अंधविश्वास एक ऐसा विश्वास है, जिसका कोई उचित कारण नहीं होता है। एक छोटा बच्चा अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन परंपराओं, मान्यताओं को बचपन से देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं का अक्षरशः पालन करने लगता है। यह अंधविश्वास उसके मन-मस्तिष्क में इतना गहरा असर छोड़ देता है कि जीवनभर वह इन अंधविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता। अंधविश्वास अधिकतर कमजोर व्यक्तित्व, कमजोर मनोविज्ञान एवं कमजोर मानसिकता के लोगों में देखने को मिलता है। जीवन में असफल रहे लोग अधिकतर अंधविश्वास में विश्वास रखने लगते हैं एवं ऐसा मानते हैं कि इन अंधविश्वासों को मानने एवं इन पर चलने से ही शायद वह सफल हो जाएं।अंधविश्वास न केवल अशिक्षित एवं निम्न आय वर्ग के लोगों में देखने को मिलता है, बल्कि यह काफी शिक्षित, विद्वान, बौद्धिक, उच्च आय वर्ग एवं विकसित देशों के लोगों में भी कम या ज्यादा देखने को मिलता है। यह आमतौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी देखने को मिलता है। अंधविश्वास समाज, देश, क्षेत्र, जाति एवं धर्म के हिसाब से अलग-अलग तरह के होते हैं। विभिन्न प्रकार के अंधविश्वास आमतौर पर समाज में देखने को मिलते हैं, जैसे आंख का फड़कना, घर से बाहर किसी काम से जाते समय किसी व्यक्ति द्वारा छींक देना, बिल्ली का रास्ता काट जाना, 13 तारीख को पड़ने वाला शुक्रवार या 13 नवंबर को अशुभ मानना, हथेली पर खुजली होना, काली बिल्ली में भूत-प्रेत का वास होना, परीक्षा देने जाने से पहले सफेद वस्तु जैसे दही आदि का सेवन करना, सीधे हाथ पर नीलकंठ नामक चिड़िया का दिखाई देना, सीढ़ी के नीचे से निकलना, मुंह देखने वाले शीशे का टूटना, घोड़े की नाल का मिलना, घर के अंदर छतरी खोलना, लकड़ी पर दो बार खटखटाना, कंधे के पीछे नमक फेंकना, मासिक धर्म के दौरान महिला को अपवित्र मानकर उसके मंदिर में प्रवेश को वर्जित करना, श्राद्ध के दिनों में नया काम शुरू न करना या नए कपड़े न सिलवाना आदि।

बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ माना जाता है

अंधविश्वास सच्चाई और वास्तविकता से बहुत दूर होते हैं। अंधविश्वास में व्यक्ति आलौकिक शक्तियों में विश्वास करता है। शक्तियों के अस्तित्व में विश्वास रखता है, जो कि प्रकृति के नियमों की पुष्टि नहीं करता है और न ही ब्रह्मांड की वैज्ञानिक समझ रखता है। अंधविश्वास व्यापक रूप से फैला हुआ है। आलौकिक प्रभाव में तर्कहीन विश्वास होता है। आंख के फड़कने के बारे में लोगों में यह अंधविश्वास है कि पुरुष की सीधी आंख एवं महिला की उल्टी आंख फड़कना शुभ होता है। वहीं इसका उल्टा होना अशुभ माना जाता है।चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, इसे मसल फ्लीकरिंग कहते हैं, इसका कोई कारण अभी तक पता नहीं है एवं न ही इसका कोई उपचार है। आंख का फड़कना स्वतः ही बंद हो जाता है। घर से बाहर किसी कार्य के लिए जाते समय, किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा छींक देना भी एक अंधविश्वास है। ऐसा होने पर व्यक्ति वहीं कुछ समय के लिए रुक जाता है एवं घर पर पानी पीकर या कुछ छोटा, मोटा खाकर ही दोबारा निकलता है। बिल्ली का रास्ता काट जाना भी अशुभ माना जाता है। देखा गया है कि अगर बिल्ली किसी रास्ते को पार कर जाती है, तब दोनों तरफ के लोग रुककर खड़े हो जाते हैं एवं तब तक खड़े रहते हैं, जब तक कि कोई व्यक्ति या कोई वाहन उस रास्ते को पार न कर जाए। इस कारण कई बार सड़कों पर जाम तक लग जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बिल्ली, शेर के परिवार से संबंधित होती है। शेर,चीता एवं इस परिवार के जानवर जब कोई सड़क या रास्ता पार करते हैं, तब रास्ता पार करने के बाद रुककर, पीछे मुड़कर अपने शिकार की तरफ देखते हैं। इसी कारण पुराने समय में लोग जब तक शेर चला नहीं जाता था, तब तक उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ते थे। कारण तो ये था, लेकिन अब यह अंधविश्वास बन गया है।

तेरह नंबर या तेरह तारीख को अशुभ माना जाता है एवं अगर तेरह तारीख, शुक्रवार के दिन पड़ती है, तो इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है। देखा गया है कि होटल्स में तेरह नंबर का कमरा या तेरहवां तल भी नहीं होता है, वहां पर बारह के बाद सीधे चौदहवां नंबर होता है। यह भी एक प्रकार का अंधविश्वास है। हाथ की हथेली पर खुजली होना भी अंधविश्वास से जुड़ा है, जिसके अनुसार पुरुष की सीधी हथेली पर एवं महिला की उल्टी हथेली पर खुजली होने से धन की प्राप्ति होती है, जबकि इसका उल्टा होने पर आर्थिक हानि संभव है। हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि काली बिल्ली में भूत का वास होता है। इसी कारण से लोग काली बिल्ली को अपने घर में नहीं घुसने देते। वहीं समाज के कुछ हिस्सों में काली बिल्ली को भाग्यशाली भी माना जाता है। इस कारण से लोग काली बिल्ली को घरों में पालते हैं। लेकिन काली बिल्ली में न भूत का वास होता है और न ही काली बिल्ली अच्छे भाग्य का कारण होती है। यह मात्र एक अंधविश्वास एवं कपोल कल्पित घटनाओं पर आधारित है।बच्चों के परीक्षा देने जाने से पहले माता-पिता सफेद वस्तु जैसे दही आदि खिलाकर भेजते हैं। यह इस अंधविश्वास से जुड़ा होता है कि सफेद वस्तु खाकर जाने से परीक्षा बहुत अच्छी होती है एवं नंबर बहुत अच्छे आते हैं। अगर आप कहीं जा रहे हैं एवं रास्ते में नीलकंठ नामक चिड़िया सीधे हाथ की तरफ दिखाई पड़ती है, तो यह अत्यंत शुभ का द्योतक है। इसके पीछे यह कहानी यह जुड़ी हुई है कि हम जो भी बात नीलकंठ नामक चिड़िया से कहेंगे, वह बात सीधे भगवान शिव तक पहुंचा देगी एवं हमारी मनोकामना पूरी होगी। खड़ी हुई सीढ़ी के नीचे से निकलने को लोग दुर्भाग्य से जोड़ते हैं, जबकि यह केवल एक अंधविश्वास मात्र ही है। मुंह देखने वाले शीशे का टूटना भी अशुभ माना जाता है एवं इसे घर में रखना भी अशुभ होता है। ऐसा अंधविश्वास हमारे समाज में काफी प्रचलित है।

घोड़े की नाल (घोड़े के पैरों के नीचे लगे लोहे) का मिलना शुभ माना जाता है एवं लोग इस नाल से गोल छल्ला बनवाकर सीधे हाथ के बीच की उंगली में पहनते हैं। एक अंधविश्वास के अनुसार, घर के अंदर छाते को खोलना अशुभ माना जाता है। लकड़ी पर चाहे वह लकड़ी का दरवाजा हो या कोई अन्य वस्तु, दो बार खटखटाना भी शुभ नहीं माना जाता है। यह भी एक प्रकार का अंधविश्वास ही है। जब कोई व्यक्ति अच्छे से तैयार होता है एवं किसी को वह बहुत अच्छा, सुंदर लगता है, तब वह लकड़ी की किसी वस्तु को छूकर टचवुड बोलता है, ताकि उस व्यक्ति को नजर न लगे, जबकि इसमें अंधविश्वास के अलावा कोई सच्चाई नहीं होती है। हमारे समाज में दुर्भाग्य को दूर करने के लिए व्यक्ति के कंधे के पीछे लोग नमक भी फेंकते हैं, जिससे कि उस व्यक्ति का भाग्य जागृत हो जाए, यह कार्य भी अंधविश्वास की श्रेणी में आता है। जब कोई व्यक्ति छींकता है, तब हम कहते हैं कि भगवान भला करे या छत्रपति जय नंदी माई। हमारे पूर्वज बताते हैं कि ऐसा इसीलिए कहा जाता है कि कहीं छींकने के समय पर शैतान हमारी आत्मा को न ले जाए। यह भी एक प्रकार का अंधविश्वास ही है।हालांकि, आजकल ज्योतिष को विज्ञान ही कहते हैं, लेकिन अधिकतर ज्योतिषियों द्वारा बताई गई बात या की गई भविष्यवाणी झूठी ही निकलती है। भूत-प्रेत में विश्वास रखना एक बहुत बड़ा अंधविश्वास है। आमतौर पर जो लोग भूत से मिलने या भूत के दिखने की बात करते हैं, वे सिर्फ कहानियां गढ़ते हैं या फिर किसी मानसिक रोग से पीड़ित होते हैं, जिससे अजीबोगरीब चीजें दिखने लगती है या अजीबोगरीब आवाज सुनाई देने लगती है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इसे ‘हैलुसिनेशन’ कहते हैं।

जानकी मंगल भवन में अपने आप लग रही आग…

खरसिया थाना क्षेत्र के चपले में पिछले एक सप्ताह से अजीब किस्म का अग्निकांड लोगों को भयाक्रांत किए हुए है। दहशत का आलम यह है कि परिवार के लोग पलायन को तैयार हैं। बताया जा रहा है कि चपले नंदेली मार्ग में स्थित जानकी मंगल भवन में गेंद लाल श्रीवास चपले के निवास में आग हर घंटे में खुद ब खुद लगती है और बुझा बुझा परेशान है परिवार। पतंग छाप माचिस का डिब्बा और तिल्ली आग जले स्थल पर मिलना…??? इसके चलते अब तक परिवार का भारी नुकसान हो चुका है।आग कभी दिन तो कभी रात में लग रहा है। परिवार के लोग रात को जाग कर रखवाली करने लग गए। आग की लपटें कभी घर के बिस्तर से तो कभी कपड़े में लग रही है। कई तांत्रिक कह रहे हैं कि ये आग किसी प्रेत आत्मा के कारण लग रही है…

वैज्ञानिक युग पर भूत प्रेत आत्मा की बाते कहना दकियानुसी बाते हैं क्षेत्र में हो रहा है कानाफूसी…

सब कुछ जल गया

आग से घर के बिस्तर इलेक्ट्रॉनिक सामान सोफ़ा पहनें के कपड़े जल गए हैं। पूजा अर्चना करवाने के बाद इस नए घर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी मगर अब यहां भी अचानक आग लगना शुरू हो गई हैं। हालत यह है कि अब परिवार के सभी सदस्य पानी की बाल्टी लेकर दिन रात पहरेदारी करते हैं।

मगर इतना जरूर स्पष्ट है कि यह किसी व्यक्ति की शरारत है, या फिर कोई ऐसा ज्वलनशील पदार्थ गलती से घर में आया है, जिसकी वजह से आग लग रही है…

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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