
शासन-प्रशासन की नाकामी – स्कूल में न किताब,न ड्रेस,पढ़ाई सिर्फ कागजों में…
खरसिया– खरसिया विकासखंड के बिलासपुर संकुल के अंतर्गत आने वाले बिलासपुर, तुरीपारा, सिंघनपुर और भूपदेवपुर के शासकीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा सत्र की शुरुआत केवल सरकारी फाइलों और रजिस्टरों में हुई है। ज़मीनी स्तर पर हालात एकदम उलट हैं।
ये कोई मनगढ़ंत बात नहीं, बल्कि क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य प्रतिनिधि खुद सोशल मीडिया पर इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि – “बिलासपुर संकुल के बिलासपुर, तुरीपारा,सिंघनपुर और भूपदेवपुर के प्राइमरी स्कूलों में अब तक न तो पुस्तक का वितरण हो पाया है और न ही स्कूल ड्रेस का ।। पुस्तक न मिलने से स्कूल की पढ़ाई शुरू नही हो पाई है।। समन्वयक और संकुल प्रभारी की लापरवाही है। “
अब तक इन स्कूलों में न तो बच्चों को पाठ्यपुस्तकें वितरित की गई हैं और न ही स्कूल ड्रेस का नामो-निशान है। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप है और शिक्षकों के पास पढ़ाने लायक कुछ भी नहीं है।
शिक्षा का अधिकार या अधिकारों से वंचित शिक्षा?
शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) और सरकारी दावों के बावजूद लगातार कई सप्ताहों से बच्चे खाली हाथ स्कूल जा रहे हैं – किताब और ड्रेस के बिना। कुछ जगहों पर सिर्फ हाजिरी लगाई जा रही है और पढ़ाई शून्य पर है।
क्या यही है शिक्षा का नया ढांचा?
स्थानीय ग्रामीणों और पालकों का कहना है कि – “कभी किताबें नहीं, कभी मिड-डे मील नहीं, कभी भवन की छत टपकती है – अब किस उम्मीद में बच्चे भेजें स्कूल?”
प्रशासन सोया है या अनदेखी कर रहा है?
कागजों में योजनाओं की पूर्णता का दावा कर रहे हैं, लेकिन गांव-गांव की हालत किसी और ही कहानी को बयां कर रही है। खरसिया क्षेत्र में यह स्थिति शासन की शिक्षा के प्रति संवेदनहीनता को उजागर करती है।
अब सवाल यह है कि –
👉 जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग कब जिम्मेदारी निभाएंगे?
👉 बच्चों का अधिकार उन्हें कब मिलेगा?
✍️क्या आपके गांव या स्कूल में भी ऐसी ही स्थिति है? हमें बताएं।
देहाती डॉट कॉम टीम आपके बच्चों के शिक्षा अधिकार के लिए आवाज़ उठाएगी।



