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तनाव के बावजूद भारत से इतनी बड़ी मात्रा में चावल क्यों खरीद रहा है चीन?

पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव बेशक बरकरार हो और चीन की घुसपैठ को लेकर भारत की जवाबी कार्रवाइयां और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया भी जारी हो, लेकिन चीन की भारत पर निर्भरता कम नहीं हो सकती। यह बात चीन अच्छी तरह जानता है। भारत ने चीनी एप्स समेत चीन के ज्यादातर सामानों पर रोक लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश की है, लेकिन अगर भारत से चावल न जाए तो चीन की हालत और खस्ता हो जाएगी। दीपावली के दौरान चीनी सामानों की खरीदारी रोक दिए जाने से उसे 40 हजार करोड़ रुपए का नुकसान एक झटके में हो चुका है। ऐसे में भारत की नाराजगी दूर करने के लिए वह यहां से भारी मात्रा में चावल की मांग लगातार बढ़ा रहा है।

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अपने गैर-बासमती चावल की वजह से भारत चीन समेत तमाम देशों की जरूरत बना हुआ है। भारत से निर्यात होने वाली गैर बासमती चावल की मात्रा और मांग में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस चावल को चीन और बांग्लादेश जमकर खरीद रहे हैं। अगर मनी कंट्रोल की रिपोर्ट देखें तो इसमें राइस एक्स्पोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव के हवाले से दावा किया गया है कि अब तक चीन ने दो चावल मिलों से 60000 टन चावल खरीदा है। इसके अलावा बांग्लादेश भी और चावल खरीदने की बात कर चुका है। इससे भारत के चावल का निर्यात तेजी से बढ़ने की संभावना है।

भारत के चावल में चीन की इतनी दिलचस्पी और लगातार बढ़ती मांग की वजह से भी भारत के चावल का निर्यात इस साल रिकॉर्ड तोड़ चुका है। इस बार करीब 60 लाख टन चावल का निर्यात केवल जनवरी से अक्टूबर के बीच में ही पूरा हो गया, जबकि पिछले साल चावल का सालाना निर्यात करीब 51 लाख टन था। कृष्ण राव मानते हैं कि अगर लंबे समय तक चीन की यही नीति रही, तो हर साल भारत से 50 लाख टन चावल केवल चीन ही खरीद लेगा।

लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि भारत बेशक चीन के सस्ते इलेक्ट्रॉनिक सामानों और रोजमर्रा की जरूरत की चीजों, खिलौने आदि पर ही अपना ध्यान रखता है, लेकिन चीन भारत के चावल के अलावा यहां के तमाम उपभोक्ता और खानपान के सामानों पर नजर रखता है। वह भारत से चावल के अलावा ऑयल सीड, स्टील, कॉटन इत्यादि का आयात भी भारी मात्रा में कर रहा है। ये खुलासा टीएफआई पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक “पिछले कुछ हफ्तों से चीन कई भारतीय वस्तुओं को धड़ल्ले से खरीदने में जुटा हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से कैस्टर ऑयल, सोयाबीन, मूंगफली का तेल और स्टील एक्स्पोर्टस जैसी वस्तुएं हैं, जिन्हें चीन धड़ल्ले से खरीद रहा है। जिस चीन ने अपने खिलाफ जाने पर ऑस्ट्रेलिया और अन्य कई देशों पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश की वह भारत से इस तरह धड़ल्ले से सामान खरीद रहा है, इसके बेशक कुछ मायने हैं। साफ है कि वो भारत को ये बताने की कोशिश कर रहा है कि भारत बेशक उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए, लेकिन वह भारत के साथ दुश्मनी नहीं चाहता।

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