चपले नंदेली रोड़ मंडी प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रविवार को
बाल कथा को आठ वर्षीय बाल व्यास विष्णु प्रिया अविजी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। बाल व्यास जी ने संगीतमय कथा वाचन कर भगवान की बाल लीलाओं के चरित्र का वर्णन किया। श्रोताओं से कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होती है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की।
उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। राक्षसी पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं।
इसी प्रकार कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, परंतु भगवान कृष्ण उनको इंद्र की पूजा करने से मना कर देते हैं और गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहते हैं। मानसी गंगा स्नान करते आज की कथा विश्राम के ओर हो चला…
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श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने मुख्य यजमान
श्रीमती षष्ठी गेंद लाल श्रीवास,वासु श्रीवास ,श्रीमद्भागवत कथा वाचिका श्रीमती प्रभा देवी,कृष्ण कुमार पटेल उपाध्यक्ष जनपद पंचायत खरसिया,पद्युमन पटेल, लक्ष्मण श्रीवास,शोभा राम नायक,रामभजन पटेल,कृष्णाचंद युवराज नायक, बृजमोहन डनसेना,भानु पटेल,भैयाराम नायक, सम्पत पटेल,ललित पटैल सहित ग्रामवासी क्षेत्रवासियों श्रद्धालु मौजूद रहे।