डेढ़ दशक तक नक्सलियों से लिया लोहा पर सियासत के रण में अकेले रह गए किस्मत लाल नंद…
किस्मत लाल नंद का जन्म महासमुंद जिले में सराईपाली क्षेत्र के संतपाली में 1959 में हुआ। किस्मत लाल नंद की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई
सराईपाली। एलएलबी की डिग्री हासिल किया और कृषि अधिकारी बने। खेतों से मन भरा तो रणभूमि का रुख किया। अदम्य साहस का परिचय दिया, उन्होंने पुलिस जैसी जटिल नौकरी हासिल की और नक्सल इलाकों में तैनाती मिली तो करीब 16 सालो तक लाल लड़ाकों का सामना करते रहे। रायगढ़ जिले के खरसिया थाना क्षेत्र में प्रभारी रहने के दौरान उन्होंने नया रास्ता अख्तियार किया। कांग्रेस में आकर विधायक बने। इस तरह जीवन का चढ़ाव जारी रहा पर शायद अब दौर उतार का है, अपनों की अनदेखी का है। यही वजह है जिस पार्टी के टिकट पर विधायक चुनकर अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया उसी दल ने उन्हें अदद टिकट के काबिल नहीं समझा। तन्हाई और रुसवाई के बीच मैदान में डटे रहने वाले शख्सियत ने अपना मैदान बदलना ही मुनासिब समझा।
दरअसल हम बात कर रहे हैं सराईपाली के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता किस्मत लाल नंद की। डेढ़ दशक से ज्यादा वक़्त तक कांग्रेस के साथ रहने वाले किस्मत लाल नंद अब जेसीसी यानी जोगी के पाले में जा चुके है। कांग्रेस से मौका नहीं मिलने पर किस्मत लाल नंद अब जनता कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में है।
किस्मत लाल नंद का जन्म महासमुंद जिले में सराईपाली क्षेत्र के संतपाली में 1959 में हुआ। किस्मत लाल नंद की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई, जबकि रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय से स्नातक व छतीसगढ़ महाविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली। हायर एजुकेशन पूरा करने के बाद सन 1985 से 1989 तक किस्मत लाल नंद ने एग्रीकल्चर ऑफिसर के पद पर नौकरी की। फिर 1990 में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुई। 16 साल तक नक्सल क्षेत्र में उनकी तैनाती रही। 2006 में नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में उन्होंने अदम्य साहस दिखाया जिसके चलते आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर निरीक्षक बना दिया गया। 2018 में इन्हें डीएसपी बनाया गया। किस्मत लाल नंद की बेटी भी डीएसपी के पद पर है। वह भी फिलहाल नक्सल क्षेत्र में तैनात है।
किस्मत लाल नंद 2018 में कांग्रेस की टिकट पर सराईपाली से विधायक चुने गए। उन्होंने यह चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीता था। उन्होंने एक लाख से ज्यादा वोट के तौर पर कुल 63 फ़ीसदी मत हासिल किये थे। उनके सामने थे भाजपा के शयाम तांदी जिन्हे महज 48 हजार वोट ही हासिल हुए थे। ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद थी कि कांग्रेस इस बार भी उन्हें प्रत्याशी बनाएगी और सराईपाली से प्रतिनिधित्व का मौक़ा देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहाँ से पार्टी ने इस बार महिला उम्मीदवार पर दांव खेला है। चातुरी नंद इस बार पंजे के निशान पर चुनावी मैदान में है।
वहीं अब किस्मत लाल नंद ने पाला बदल लिया है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। इस तरह सराईपाली की सीधी लड़ाई इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील हो गई है। कांग्रेस से चातुरी नंद तो भाजपा से सरला कोसरिया चुनौती दे रही है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या किस्मत लाल नंद की किस्मत उनका साथ देती है या फिर मतदाताओं का रुझान बड़े दलों की तरफ ही बना रहता है। बहरहाल हमारे पाठकों को चर्चा के लिए…