वन मंत्रालय से की गई कार्रवाई की मांग,फेंसिंग की वजह बाघों का आना-जान हो गया है बंद…

वन विभाग ने बॉर्डर क्षेत्र में इस तरह की फेंसिंग कर दी है।छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा पर वन विभाग के फेंसिंग करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर अब वन मंत्रालय से शिकायत की गई है और मामले में संज्ञान लेने की मांग की गई है। दरअसल, यहां 3 टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले टाइगर कॉरिडोर में वन विभाग ने फेंसिंग कर दी है। जिसकी वजह से अब यहां से बाघों का आना-जाना बंद हो गया है। साथ ही कई अन्य जंगली जानवर भी मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ की तरफ और छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश की तरफ नहीं जा पा रहे हैं।ये पूरा मामला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के गौरेला वन परिक्षेत्र का है। ये जिला मध्यप्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। यहीं के अमरकंटक के पास जलेश्वर, करंगरा रोड में, धनौली समेत कुछ अन्य जगह पर काफी लंबी फेंसिंग कर दी गई है। जिसके कारण अब बाघ और अन्य जानवर सीमा में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। कुछ समय पहले ही दैनिक भास्कर ने पूरे मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।इस क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर का बोर्ड भी लगाया गया है।कुछ साल पहले इस क्षेत्र में टाइगर कॉरिडोर बनाया गया था। जिससे मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व आ सकें। इसी तरह अचानकमार के बाघ दूसरी तरफ आराम से जा सकें और विचरण भी कर सकें। मगर इस तरह से फेंसिंग कर देने से बाघों का आना जाना बंद हो गया। वन विभाग ने 2019 से 2021 के बीच इन इलाकों में फेंसिंग का काम कर दिया। पहले यहां बड़ी संख्या में बाघ और अन्य जंगली जानवर दिखाई देते थे।सामाजिक कार्यकर्ता ने की शिकायतइस मामले में अब सामाजिक कार्यकर्ता नितिन संघवी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से शिकायत की है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि मरवाही का क्षेत्र अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र से लगा हुआ है। यहीं से बाघों और अन्य जानवरों की आवाजाही होती थी। लेकिन इस तरह से फेंसिंग कर देने से इन जानवरों का आना-जाना ही बंद हो गया है। जबकि ये इलाका तीन टाइगजर रिजर्व क्षेत्र का टाइगर कॉरिडोर था। फिर भी वन विभाग ने यहां फेंसिंग की है। नितिन ने मांग की है ति तुरंत इस मामले में संज्ञान लें और बाड़ा हटाने के निर्देश दें। साथ ही जो भी उचित कार्रवाई हो, वह भी करें। जिससे वन्य प्राणियों का आना-जाना आसान हो सके।घने जंगली क्षेत्र में भी बाघों का आना-जाना बंद हो गया है।अधिकारियों ने ये दिया था तर्कये मामला सामने आने के बाद जब अधिकारियों से इस संबंध में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि पहले से ही वन विभाग में सीमा को लेकर विवाद चल रहा था। जब छत्तीसगढ़ सीमा पर काम किया जाता तो मध्यप्रदेश के अधिकारी कहते हमारे क्षेत्र में काम क्यों कर रहे। वैसे ही जब उस क्षेत्र में काम होता तो भी असमंजस की स्थिति थी। इसलिए राज्य कैंपा मद से 84 लाख रुपए की लागत से इस पूरे इलाके में फेेंसिंग का काम कर दिया। बताया गया है कि इसका टेंडर भी विवादों में घिरा रहा था। इसे राजनीतिक दबाव में कुछ प्रभावशाली लोगों को दिया गया। काम की गुणवत्ता और क्षेत्र के नापजोख में भी गड़बड़ी की भी बात सामने आई थी।




