भगवान जगन्नाथ को अमनिया भोग का किया गया अर्पण
8 जुलाई तक 104 से अधिक गांव के लोग अर्पण करेंगे अमनिया भोग
जगदलपुर। शताब्दियों से रियासतकालीन परम्परानुसार भगवान जगन्नाथ को अमनिया भोग का अर्पण 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के 14 क्षेत्रिय समितियों में विभक्त 104 से अधिक ग्रामों में निवासरत 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के परिवारों द्वारा लगाया जाता है। बस्तर गोंचा पर्व में 2 जुलाई से अमनिया भोग शुरू हो गया है, आगामी 8 जुलाई तक प्रतिदिन भोग पश्चात् श्रद्धालुओं में वितरण किया जाएगा। पहले दिन हजारो की संख्या में श्रद्धालु जगन्नाथ के भात का भोग प्रसाद लेने पहुंचे।
श्रीमंदिर के बाहर भगवान जगन्नाथ स्वामी गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन में स्थपित है। गुडिचा मंदिर में बाहुडा गोंचा पूजा विधान 9 जुलाई तक यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन में सत्यनारायण कथा के श्रावण की शताब्दियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। पहले दिन शनिवार को 12 परिवारों ने सत्यनारायण कथा श्रृवण कर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किये जाने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा, यह सिलसिला अनवरत 8 जुलाई तक जारी रहेगा। सत्यनारायण कथा श्रृवण के लिए 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के द्वारा पंजियन उपरांत ब्राह्मणों की व्यवस्था दी जाती है।
360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ स्वामी श्रीमंदिर से रथारूड़ होकर जनकपुरी गुंडि़चा मंदिर सिरहासार भवन में पहुंचने के बाद अमनिया भोग लगाए जाने की 615 वर्षों से चली आ रही पंरम्परा का निर्वाहन किया जाता है। अमनिया भोग का शाब्दिक अर्थ है, शुद्ध, स्वच्छ, अछूता, निर्मल अथवा अमृत समान भोग का अर्पण करना होता है। बस्तर गोंंचा पर्व में आज से रियासत कालीन परम्परानुसार अमनिया भोग अर्पित करने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है, पहले दिन ग्राम मटनार-तालुर क्षेत्रिय समिति के अंर्तगत ग्राम मंगनार, करंजी, कौण्डावंड, बंकावंड, कौलावल, करपावंड, बारदा, किंजोली, बस्तर, गुफनी, भाटपाल, इच्चापुर, रेटावंड, बोदागुडा और चोलनार के 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के ब्राह्मणों ने भगवान जगन्नाथ को अमनिया भोग का अर्पण किया, यह सिलसिला लगातार बस्तर गोंचा पर्व के संपन्नता तक जारी रहेगा।