1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को दी जाएगी कृमिनाशक दवा
स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग निभाएंगे सामूहिक भागीदारी
रायपुर। हर वर्ष 8 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है। परंतु इस वर्ष कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए अब यह दिवस सितंबर के तीसरे सप्ताह में मनाया जाएगा। बच्चों को पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचाने के लिए प्रदेश के 1.12 करोड़ बच्चों को कृमिनाशक दवा एलबेंडाजोल की गोली दी जाएगी।
खून की कमीं और कुपोषण से लडऩे के लिए उक्त दिवस कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा मनाया जाता है, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की समान भागीदारी होती है । इस दिन बच्चों को नि:शुल्क एलबेंडाजोल गोली खिलाकर राज्य में कृमि संक्रमण से मुक्ति का प्रयास किया जाता है । वहीं जो बच्चे छूट जाते हैं उन्हें मॉप उप राउंड में दवा दी जाती है।
राज्य एनडीडी नोडल अधिकारी डॉ. अमर सिहं ठाकुर ने बताया इस वर्ष कोरोनावायरस का संक्रमण को देखते हुए उक्त कार्यक्रम को 8 अगस्त की बजाए सितंबर के तीसरे सप्ताह में किए जाने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया स्वास्थ्य विभाग की सजगता और प्रयास से राज्य में शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर में कमीं आई है। दवा का सेवन कराने का मुख्य उद्देश्य पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचाने के साथ ही स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर में सुधार लाना भी है। इसे देखते हुए ही वर्ष में दो बार कृमि मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में भी 2015 से इसकी शुरूआत हुई है। प्रदेश में जब इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई तब प्रीवेलेंट रेट 73 प्रतिशत था जो अब घटकर 13 प्रतिशत हो गया है, रेट को और भी कम करने का प्रयास निरंतर जारी है। बच्चों को दवाई स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी मितानिन और एएनएम के माध्यम से दी जाएगी। 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली (200 एमजी) एलबेंडाजोल तथा 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली (400 एमजी) की दवा अभियान के तौर खिलाई जाएंगीं और जो बच्चे छूट जाएंगें उनको मॉप उप राउंड में यह दवा खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल की गोली बच्चों और बड़ों के लिए सुरक्षित है। प्रतिकूल प्रभाव यदि हो तो प्रबंधन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपचार की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा रहेगी।
गर्भवती महिला और बीमार व्यक्ति रहेंगे दूर – कृमि मुक्ति दिवस पर एक वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और बीमार व्यक्तियों को एलबेंडाजोल की गोली नहीं दी जाएगी।
कुपोषण मुक्ति का भी प्रयास – डॉ. निलय मोझरकर शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल रायपुर ने बताया बच्चों में कुपोषण या रक्त अल्पता एनीमिया की मुख्य वजह पेट में कीड़े होना भी होता है। इस कारण बच्चों में भूख न लगना, वजऩ में कमी आना और पेट में दर्द, उल्टी या दस्त देखने को मिलता है। अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो बच्चे इससे अति कुपोषित स्थिति में पहुंच जाते हैं। इसे दूर करने के लिए बच्चों के पेट के कृमि को मारना जरूरी होता है। इसलिए कृमिनाशक दवाई खिलाई जाती है।