छत्तीसगढ़

सर्पमित्रो नें रेस्क्यू किया दुर्लभ ग्रीन किलबैक

किरंदुल । दो दिन में सात रस्लस वाईपर के रेस्क्यू के बाद किरंदुल चीता कॉलोनी से मनोज कुमार हल्दर ने दुर्लभ सर्प का रेस्क्यू किया। इसे देखकर सर्पमित्रों सहित पर्यावरण प्रेमियों में हर्ष की लहर दौड़ गई। दरअसल ग्रीन किलबैक के होने की सूचना कई बार प्रत्यक्षदर्शियों नें दी थी। परंतु पहली बार इस ग्रीन किलबैक सर्प को समीप से देखने का अवसर मिला।

ग्रीन किलबैक की लंबाई 2 फीट तक होती हैं। और मुख्य रूप से ये मेढ़क खाना ही पसंद करता हैं। इसकी एक ख़ास विशेषता ये हैं की, खतरा महसूस होने पे ये अपनी गर्दन को जमीन से ऊपर उठा के उसे नाग की तरह फैला सकता हैं। यही कारण हैं की, कई लोग इसे हरा नाग समझ लेते हैं। स्वभाव से ये बहुत शांत सांप होता हैं, और इंसानों को काटने से बचता हैं।

सर्प मित्र व सर्पो के जानकार अमित मिश्रा ने बताया ग्रीन कीलबैक, जिसका वैज्ञानिक नाम रैबडोफिस प्लंबिकलर हैं, ये सांप बहुत कम संख्या में होने के साथ साथ बहुत खास भी हैं। विशेष इसलिए की इस पर बहुत कम शोध हुआ हैं। और इसे विषहीन प्रजाति समझा जाता था। लेकिन हाल फिलहाल के कुछ शोध कहते हैं की ये विषैला हैं। लेकिन इसके विषदंत होते हैं या नहीं, इसके विषग्रंथि में विष होता हैं? या इसकी लार विषैली होती हैं? क्या इसकी त्वचा से भी विष निकल सकता हैं? क्यों की इसकी कुछ समान प्रजातियों में ऐसा होता हैं। ये सभी बाते अभी शोध का विषय हैं। और इसलिए शोध की दृष्टि से ये सांप अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। बैलाडीला के जंगल प्रकृति का खजाना हैं। इसे बचाना हम सब का दायित्व हैं।

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