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गुरु प्रदोष में इस बार वृद्धि योग, विवाह संबंधी बाधा होगी दूर

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 14 अप्रैल दिन गुरुवार को है, इसलिए यह गुरु प्रदोष व्रत है। गुरु प्रदोष व्रत के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान भोलेनाथ के प्रसन्न होने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। धन, धान्य, सुख, समृद्धि के साथ उत्तम स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। इस दिन तो लोग सुबह से ही पूजा करते हैं, लेकिन प्रदोष काल में पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि के बारे में…

गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 14 अप्रैल, गुरुवार, सुबह 04:49 बजे से
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त: 15 अप्रैल, शुक्रवार, सुबह 03:55 बजे
प्रदोष पूजा मुहूर्त: 14 अप्रैल, शाम 06:46 बजे से रात 09:00 बजे तक

गुरु प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि
14 अप्रैल को प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।
घर पर भगवान शिव की दैनिक पूजा करें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
शिवलिंग को गंगा जल और गाय के दूध से स्नान कराएं. उसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं।
अब अक्षत्, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।
इसके पश्चात शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। फिर घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें।पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें।
शाम की पूजा के बाद कुछ अनाज, वस्त्र, रुपये, फल आदि का दान किसी गरीब या ब्राह्मण को कर दें। अब रात्रि के समय में भगवान शिव का जागरण करें।
अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूर्ण करें। इस प्रकार से प्रदोष व्रत एवं पूजा करें। भगवान शिव शंकर की कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

विवाह की बाधा दूर करने के लिए करें महाउपाय
गुरु प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के साथ माता पार्वती का पूजन अवश्य करें। विवाह योग्य कन्याएं मां पार्वती की मांग में सिंदूर भरें और विवाह योग्य युवक शिवजी का अभिषेक कर चावल अर्पित करें।
गुरु प्रदोष के दिन प्रात:काल स्नान के पानी में हल्दी डालकर स्नान करें और इसके बाद व्रत करें। विवाह की बाधा दूर होगी।
शीघ्र विवाह के लिए गुरु प्रदोष के दिन केले के पेड़ का पूजन करें। उसकी जड़ में हल्दी मिश्रित जल अर्पित करें।
गुरु प्रदोष व्रत के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें और शिवजी का अभिषेक केसर के दूध से करें।
इस दिन विष्णु सहस्रनाम के 11 पाठ करने से विवाह के साथ आर्थिक बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
गुरु प्रदोष के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण का पूजन करके खीर का नैवेद्य लगाएं आर्थिक संपन्नता प्राप्त होगी।
इस बार गुरु प्रदोष के दिन वृद्धि योग भी है, इसलिए जो भी कार्य करेंगे उसमें वृद्धि, उन्नति होगी। इसलिए शुभ कार्य प्रारंभ करने का अच्छा दिन है।

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