रायगढ़।कल जिले के एक स्कूल में हुए हादसे में मासूम छात्रा की मौत ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। इस दर्दनाक घटना ने माता-पिता, शिक्षकों और समाज को झक-झोर कर रख दिया, लेकिन तथाकथित लोकप्रिय नेताओं की ओर से कोई संवेदनशील प्रतिक्रिया नहीं आई।
शिक्षा के मंदिर में घटी यह त्रासदी कई सवाल खड़े करती है। स्कूलों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रशासन की उदासीनता को लेकर लोग आक्रोशित हैं। दूसरी ओर, जिन नेताओं को जनता ने अपनी आवाज़ बनाने के लिए चुना,वे इस घटना पर मौन साधे हुए हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हादसे के बाद न तो कोई संवेदना संदेश आया,न ही किसी नेता ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। यह उदासीनता चिंतन का विषय है।ऐसे समय में,जब समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर पीड़ितों का सहारा बनना चाहिए,नेताओं की चुप्पी निराशाजनक है।
जनता अब सवाल पूछ रही है—क्या संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रह गई है? स्कूल में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?नेताओं की निष्क्रियता ने एक बार फिर दिखाया कि वास्तविक मुद्दों पर उनका ध्यान कितना कम है।
यह घटना सिर्फ शोक का नहीं, बल्कि सुधार और चेतावनी का वक्त भी है। पुलिस, कानून तो विधि अनुरुप कार्यवाही तो करेगा परन्तु जिम्मेदारों को अपनी भूमिका निभानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और जिले में अध्ययनरत मासूम बेटियों की ज़िंदगी सुरक्षित रह सके।