पुरखों ने जो रास्ता बताया उस रास्ते पर कांटा नहीं लगता : मुख्यमंत्री बघेल
रायपुर । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी और किसान मेला का उद्घाटन किया। इस मेले में शासकीय, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की 132 संस्थाएं कृषि तकनीक और उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं। यह मेला आज 12 मार्च से शुरू होकर चार दिनों तक चलेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, हमें पुरखों ने जो रास्ता बताया है उस पर ही चल रहे हैं, उन्होंने जो रास्ता बताया हैं उस रास्ते पर कांटा नहीं लगता। ये किसानो और वनवासियों का प्रदेश है, यहां पैसो का समान वितरण होना चाहिए, पिछले 15 साल से लगातार किसानों के साथ छलावा हो रहा है। पिछले 3 साल में सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया है। पिछली सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी थी। वे मवेशियों को इस गांव से उस गांव में छोड़ आते थे, लेकिन हमने गौठान बनाकर इसकी व्यवस्था की है। आज के समय में पूरे प्रदेश में 8 हजार गौठान बन चुके हैं। कहीं भी कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बनी, ये योजना सरकार की नहीं बल्कि हम सबकी है। देश का कोई मुख्य मंत्री गोबर से बना सूटकेस लेकर बजट पेश करने नहीं आया है। ऐसा मुख्यमंत्री बघेल ने किया है। गांवों के उत्पादन केंद्र खत्म होने से अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है, जिससे की बौद्धिक संपदा में पलायन हुआ और भारत के साथ छत्तीसगढ़ का भी बहुत नुकसान हुआ।
भूपेश बघेल ने कहा, 3 साल में किसानों के खाते में 91 हजार करोड़ रूपए जमा हुए हैं। बजट का एक तिहाई किसानों को मिला है जिसके बाद अब किसानों के खाते में पैसे बच रहे हैं, इसीलिए गौठानों को औद्योगिक पार्क में डेवलप करने जा रहे हैं स्थानीय युवा अब उद्योग लगाएंगे और हम उन्हें लोन भी देंगे हम गांव गांव में आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा देंगे जिसके लिए सी-मार्ट हर जिले में खोल रहे हैं। गांव के उत्पाद अब शहरों में भी बिकेंगे छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप से बहुत कुछ दे रहा है।
देश में केवल छत्तीसगढ़ में 3 हजार की दर से कोदो कुटकी खरीदा जा रहा है। हमारी सरकार ने किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम दिया और ऋण माफ भी किया। हमने सभी वर्ग के किसानों का कर्जा माफ किया है, हमने राजीव गांधी किसान योजना लागू की, फिर कोरोना की वजह से सरकार का राजस्व भी कम हुआ लेकिन हमने फिर भी किस्तों में पैसा दिया है। हमने किसानों से जो वादा किया उससे पीछे नहीं हटे, इस माह के आखिरी तक चौथी क़िस्त भी आपके खाते में आ जायेगी।
दो रुपये किलो में गोबर खरीदी शुरू की, अब तो गोबर से गुलाल तक बन रहा है, पहले गोबार से घर को लीपते थे अब भी घर मे भले ही टाइल्स लगे हों लेकिन शुभ काम मे गोबर से ही लीपते हैं। हम सभी गांव के पले बढ़े हैं हम गांव वालों की तकलीफ समझते हैं। आज किसानों को पैसा की समस्या नहीं है, खातों में पैसा पहुँचता है,
सुराजी ग्राम योजना के माध्यम से गांवों में स्वावलम्बन हो रहा है। सर्कार ने उत्पादन के साथ बेचने की भी व्यवस्था की है, जिसके लिए हर जिले में हम सी-मार्ट खोल रहे हैं। कांकेर में कोदो, कुटकी मिलिंग का प्लांट खोला है, उसका भी हमने समर्थन मूल्य घोषित किया है। हम अभी भी अक्षय तृतीया पर धरती माता से पूजा कर खेती करने की अनुमति लेते हैं। हम डंके की चोट पर गौ माता की सेवा करते हैं।