गौरतलब हो कि जिले के हर ब्लाक में झोलाछाप डॉक्टर के साथ ऐसे अवैध क्लीनिकों की भी भरमार हैं जो कि बिना किसी पंजीयन के नर्सिंग होम एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए संचालित हो रहे हैं। नियमत: क्लीनिक चलाने के लिए नर्सिंग होम एक्ट के तहत पंजीयन होना जरूरी है। साथ ही साथ समय-समय पर उस पंजीयन का रिन्युअल कराना भी जरूरी है अन्यथा उस क्लीनिक का संचालन अवैध माना जाता है। स्वास्थ्य विभाग के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में आज की स्थिति में पंजीकृत क्लीनिकों की संख्या 232 है जबकि 16 क्लीनिक प्रक्रियाधीन हैं। जिले में लगातार ये शिकायतें आ रही हैं कि गांव से लेकर शहर तक गली-गली में बिना पंजीयन के अवैध रूप से क्लीनिक संचालित हो रहे हैं।
इससे मरीजों के जान पर भी खतरा बना हुआ है। यही वजह है कि पिछले दिनों समय सीमा की बैठक में कलेक्टर भीम सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिले भर में अभियान चला कर ऐसे अवैध क्लीनिकों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद अब स्वास्थ्य विभाग भी नर्सिंग होम एक्ट का पालन कराने के लिए एक्टिव मोड में आ गया है और शहर सहित सभी ब्लॉकों में जांच अभियान शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. भानु पटेल ने बताया कि पूरे जिले में बिना पंजीयन संचालित हो रहे क्लीनिकों की पड़ताल की जा रही है।
सभी ब्लॉक के अधिकारियों को भी इसके लिए निर्देश दिए गए हैं और नियमों के उल्लंघन पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। जरूरत पडऩे पर जिले की टीम को भी सूचित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। डॉ. पटेल ने बताया कि अब तक के जांच अभियान में बिना पंजीयन के संचालित पाए जाने पर लामीदरहा व पूंजीपथरा में 1-1 क्लीनिक पर कार्रवाई करते हुए जहां उन्हें सील कर दिया गया है तो वहीं जिला मुख्यालय में दो संचालकों को नोटिस जारी कर दस्तावेज तलब किये हैं। इनमें रामभांठा संजय नगर स्थित आनंद क्लीनिक दवाखाना सहित एक अन्य शामिल है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है प्रभाव
ऐसे में देखा जाए तो ब्लाक स्तर पर बड़ी मात्रा में यह अवैध कारोबार चल रहा है। जिसमें पुसौर, बरमकेला, सरिया, धरमजयगढ़, घरघोड़ा ब्लाक सहित अन्य क्षेत्रों में इनका कारोबार काफी चल रहा है। इसके साथ ही अगर शहर से करीब 15 किमी दूर कोड़ातराई क्षेत्र में जांच की जाए तो यहां दर्जनों की संख्या में वैद्य से लेकर अन्य तरह के डाक्टरों का कारोबार चल रहा है। साथ ही यहां ज्यादातर बवासीर सहित अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है जो मरीज के आते ही पहले से ही सौदा तय किया जाता है, जिसमें 10 हजार से 20 हजार रुपए तक डील किया जाता है, ऐसे में मरीजों से रुपए पहले ही ले लिया जाता है और तीन से चार माह तक दवा चलाने के लिए बोला जाता है, अगर इस दौरान बीमारी सही हो गया तो ठीक नहीं तो फिर से रुपए देने पड़ते हैैं, ऐसे में ग्रामीण यहां ठगी के शिकार हो रहे हैं।