राजस्व अधिकारी फैसले न सुनाएं, केवल न्यायालयों और सरकार के आदेशों का पालन करें: पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
रायगढ़ ।
राजस्व न्यायालयों में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ रायगढ़ अधिवक्ता संघ की ओर से शुरू की गई लड़ाई का असर अब देश व्यापी होने लगा है। धरना प्रदर्शन के तीसरे दिन शनिवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल रायगढ़ पहुंचे और उन्होंने अधिवक्ताओं को संबोधित किया। उनके साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बी एम सिंह और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट नसीमुद्दीन अंसारी भी मौजूद थे।
रायगढ़ के अंबेडकर चौक स्थित अधिवक्ताओं के धरना स्थल पर पहुंच कर पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि राजस्व अधिकारियों को केवल न्यायालयों और सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए, उन्हें फैसला नहीं सुनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालय भ्रष्टाचार के केंद्र बन चुके हैं और रायगढ़ के अधिवक्ताओं की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी गई जंग ऐतिहासिक रहेगी ,जिसका असर देशव्यापी होगा। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के पास दोहरी जवाबदारी होती है एक ओर उन्हें विधि व्यवसाय करके अपने परिवार की व्यवस्था संभालनी होती है तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान देना होता है। प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि गलत सिस्टम में लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है, अनैतिक और अव्यावहारिक विधियों का निर्माण हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एनडीपीएस (शराब गांजा जैसे नशीले पदार्थों के लिए बने कानून ) एक्ट में गवाहों जैसे ड्राइवर को सजा मिल रही है जबकि उनका कोई कसूर नहीं रहता। जिला बदर की कार्यवाही के लिए एसपी कलेक्टर को लिखता है और कलेक्टर कार्यवाही करता है, लेकिन जब इसके खिलाफ अपील करनी होती है तो यह अपील इन्हीं के बड़े भाई कमिश्नर उस अपील की सुनवाई करते हैं । ऐसे में पीड़ित को न्याय मिले यह जरूरी नहीं है।
अधिवक्ता सामाजिक इंजीनियर है
पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि अधिवक्ता एक सामाजिक इंजीनियर है। विश्व के इतिहास में भी वकीलों की अहम भूमिका रही है। चाहे वह देश की आजादी की बात हो या नए राष्ट्र के निर्माण की बात हो, हर जगह बिना अधिवक्ताओं के इतिहास नहीं लिखा जाता। इसलिए हम अपनी इस भूमिका से कभी पीछे नहीं हो सकते उन्होंने कहा कि एक अन्य गंभीर मामला है,एक बलात्कारी को एससी एसटी एक्ट की धारा में जमानत दे दी जाती है और अब रायगढ़ की बात करें तो यहां अधिवक्ताओं का बेल रिजेक्ट हो रहा है। यह स्थिति न्याय संगत नहीं है । इससे बड़ी दुर्भावना और क्या हो सकती है।
क्या भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद भी गलत थे
पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाले भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे शहीद गलत थे ? रायगढ़ के राजस्व न्यायालय में हुई घटना भी एक स्वाभाविक घटना है । जब हम लगातार किसी गलत बात का विरोध करते हैं तो यह जरूरी नहीं कि यदि हम वहां से पीछे लौट आए तो हमारा भाई भी हमारे पीछे लौट आए। क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है यह घटना भी स्वाभाविक तौर पर कुछ इसी प्रकार की है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि अधिकारियों में भय कायम रहे, तभी वह अपने विवेक से निर्णय ले सकेंगे और भ्रष्टाचार बंद होगा। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को आगे बढ़ाएं औऱ एक न्याय पूर्ण संवैधानिक व्यवस्था बनाएं।
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक रेवेन्यू अधिकारी के पास में न्याय निर्णय निष्कर्ष लेने का अधिकार होगा तो ऐसी घटना बार बार घटित होती रहेगी। रेवेन्यू डिपार्टमेंट इतना भ्रष्ट हो चुका है कि एक व्यक्त 10 रूपये देता और दूसरा व्यक्ति 15 रूपए दूंगा बोलता है तो 15 रूपए के पक्ष में ऑर्डर होते हैं। पक्षकारों को भी दुष्प्रेरित किया जाता है। घटना के कारणों पर क्यों चिंतन मनन नहीं किया जा रहा। तहसील कार्यालय की घटना न्याय नहीं मिलने का तात्कालिक परिणाम है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता संघ की बात कहीं नहीं सुनी जा रही है। एक घटना पर तीन तीन अपराध बनाया दिया गया है। यहां तो जो बचाने गया है उसे भी मुल्जिम बना दिया है और रेगुलर बेल अधिवक्ता साथियों का अधिकारी है उन्हें भी बेल नहीं मिल रही है इससे दुखदायी घटना और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता संघ एवं पीड़ित अधिवक्ता द्वारा भी आवेदन दिया गया है लेकिन अब तक उसमें कार्रवाई नही होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिवक्ता पक्ष का भी शिकायत दर्ज की जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस एकपक्षीय कार्रवाई कर रही है।
जब प्रशासन और सरकार अपना दायित्व नहीं निभा रहे, तो अधिवक्ता लड़ रहे लड़ाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बी एम सिंह ने कहा कि यहां पर अधिवक्ता अपना महत्वपूर्ण काम छोड़ कर इस अभियान में लगा हुआ है । जिस काम को सरकार और अधिकारियों को करना चाहिए उस काम को वो नहीं कर रहे हैं इसलिए अधिवक्ताओं को यह लड़ाई लड़नी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ से उठी ये चिंगारी दूर तलक जाएगी, जिसका परिणाम काफी सुखद होगा। एडवोकेट बी एम सिंह ने कहा कि ग्वाल साहब ने जो काम धरातल पर करके दिखाया है वह करना सबके बूते की बात नहीं है। एक चपरासी भी अपनी नौकरी किसी भी हालत में नहीं छोड़ना चाहता, लेकिन भ्रष्टाचार के विरोध में ग्वाल साहब ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के महत्वपूर्ण पद को भी त्याग दिया है और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लगातार लड़ रहे हैं। हम सभी रायगढ़ अधिवक्ता संघ के साथ हैं और इस लड़ाई को बेहतरीन तरीके से लड़ेंगे और अंजाम तक पहुंचाएंगे।
सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए हम लोग चाहें तो दुनिया को हिला कर रख दें
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट नजमुद्दीन अंसारी ने कहा कि एकता में बड़ी ताकत है उन्होंने एक शेर सुनाते हुए अपनी बात रखी कि जुर्म और जब्र की पहचान मिटा कर रख दें, चाहे तो दुनिया को हिला कर रख दें। उन्होंने कहा कि एकता में बड़ी ताकत होती है , हम भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को बड़े मजबूती के साथ लड़ेंगे , क्योंकि हम नौकरी नहीं करते, हमें इस बात की चिंता नहीं है कि हमारी वेतन वृद्धि रोक दी जाएगी या कोई डी ई हमारे खिलाफ बैठा दी जाएगी। हम अपने कलम की ताकत का प्रयोग करेंगे और इस लड़ाई को जरूर जीतेंगे।
राजस्व अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर हुए 4 पीआईएल
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट निजमुद्दीन अंसारी ने बताया कि रायगढ़ अधिवक्ताओं की लड़ाई में मोर्चा संभालते हुए हमने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से 4 पीआईएल इन सभी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर कर करवा दी है। कोई भी कलेक्टर, एसडीएम या तहसीलदार इन कार्यालयों में तालाबंदी नहीं करवा सकते हैं। राजस्व न्यायालयों में जिस प्रकार से ताला बंद कर दिए गए, वह सिविल सेवा अधिनियम के विरुद्ध है और उस पर इन अधिकारियों के ऊपर निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट हर हाल में करवाएंगे लागू
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट निजमुद्दीन अंसारी ने कहा कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 2016 में बनकर तैयार हो गया है , लेकिन अब तक दुर्भाग्य जनक ढंग से लागू नहीं किया गया है। हम किसी एक घटना के कुछ दिनों बाद इस प्रोटेक्शन एक्ट को भूल जाते हैं कि इसे हमें हर हाल में लागू कराना है। 2016 में प्रोटेक्शन एक्ट का बिल बनकर तैयार हो गया है, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया। जब यह लागू हो जाएगा तो बिना बार काउंसिल एवं स्टेट बार काउंसिल के परमिशन लिए अधिवक्ताओं पर सीधे एफ आई आर नहीं हो सकता। पुलिस को इसके पहले परमिशन लेनी होगी और जांच पड़ताल की जाएगी जिसके बाद ही आगे की प्रक्रिया संभव है। हमें एकजुटता दिखाते हुए इस प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करवाना होगा। इस दिशा में भी काम शुरू कर दिया गया है।
रविवार को रायगढ़ की सड़कों पर दिखेगी सैकड़ों अधिवक्ताओं की रैली
रायगढ़ अधिवक्ता संघ के आह्वान पर बिलासपुर और सरगुजा संभाग अंतर्गत सभी जिलों और तहसील अधिवक्ता संघ के साथी रायगढ़ में पहुंचेंगे और रायगढ़ अधिवक्ता संघ को अपना समर्थन देते हुए अंबेडकर चौक से एक विशाल रैली रायगढ़ की सड़कों पर निकाली जाएगी । इस दौरान अधिवक्ताओं की ओर से जन समर्थन भी जुटाया जाएगा। रायगढ़ के लिए यह एक ऐतिहासिक रैली होगी, जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार रैली भी कहा जा रहा है। यह रैली आंदोलन में तेजी लाते हुए इसकी दिशा और मंजिल को भी स्पष्ट कर देगी। इतना ही नहीं बल्कि अगले सप्ताह पूरे प्रदेश भर के अधिवक्ता रायगढ़ में जुटेंगे और अधिवक्ताओं की जबर रैली निकाली जाएगी।