अवैध पटाखो के कारण खतरे में खरसिया
अवैध पटाखो के कारण खतरे में खरसिया अंचल?फाईल फोटोदीपावली आने के पहले की गोदामो मे भरा पड़ा है अवैध पटाखा,कई थोक व्यापारियो के पटाखा गोदाम में भरा पड़ा है पटाखा?अभी तक विस्फोटक अधिनियम के अनुज्ञप्ति का नवीनीकरण नही?लेकिन थोक मे खरीदी-बिक्री और अवैध परिवहन है जारीखरसिया अंचल में अवैध पटाखो की भरमार हो गई है। पटाखो का स्टाक रखने के लिये अनुज्ञप्ति का अभी तक नवीनीकरण नही हो पाया है किन्तु शहर मे थोक पटाखा विक्रेता अभी से पटाखा का व्यापार प्रारंभ कर दिये है। शासन के द्वारा पटाखा के गोदाम का जो मानक बनाया गया है उसके विपरीत रिहायशी ईलाके में पटाखो का बड़ा खेप रखा गया है जिससे कभी भी दुर्घटना होने पर जान-माल के नुकसान होने का खतरा बना रहेगा।दीपावली पर खरसिया अंचल में पटाखा का बड़ा खेल होता है यहाँ पर का पटाखा बाजार लगभग 05-07करोड़ रूपये को पार कर जाता है। इस पटाखा का बड़ा बाजार को लेकर शासन ने भी कई प्रकार के नियम और कानून बनाये है किन्तु खरसिया अंचल मे थोक पटाखा व्यापारी इस नियमो का पालन नही करते है। इस संबंध में सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार शहर के एक पटाखा व्यापारी के द्वारा पटाखो की अवैध रूप से बिक्री और अवैध रूप से परिवहन का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है। पूर्व की भाजपा सरकार में अपने पैठ के बल पर पटाखो का अवैध व्यापार को संरक्षित कर चुके इस व्यापारी के द्वारा वर्तमान में भी पटाखा का अवैध व्यापार बड़े लेबल पर संचालित किया जा रहा है। इस संबंध में जब जानकारी छनकर सामने आई तो कई बड़े खुलासे होने की संभावना प्रशासनीक कार्यवाही मे सामने आने की उम्मीदे जताई जा रहा है। यहा पर अभी तक पटाखो के भंड़ारण के अनुज्ञप्ति का नवीनीकरण नही किया गया है किन्तु कुछ गोदामो में भारी मात्रा मे पटाखा का अवैध स्टाक रखा गया है। वही 50 हजार से अधिक के माल के परिवहन पर ई-वे बिल और जीएसटी बिल के माध्यम से पटाखा का आपूर्ति दूसरे नगरो मे करना है किन्तु अवैध रूप से पटाखो का विक्रय और परिवहन बिना बिल के किया जा रहा है। साथ ही इन पटाखो पर ना तो मैनुफैक्चरिंग का कोई डेट लिख हुआ है और ना ही पटाखो के डिब्बो में कोई बैच नंबर का डिटेल है। अर्थात यहा पर जो पटाखा अभी थोक विक्रेता के द्वारा अन्य नगरो और शहरो के आपूर्ति किया जा रहा है वह पूर्ण रूप से अवैध पटाखा है।बहराहल अब देखना है कि अवैध पटाखो के इस बड़ा खेल पर पुलिस और प्रशासन का डंडा कब चलता है। इस बडे खेल के खिलाड़ियो और उनके गोदामो के बारे में नगर मे जानने वालो की संख्या काफी है किन्तु पूर्व के सरकार में सत्ता का दंभ भरने वाले वर्तमान की सरकार मे भी धड़ल्ले से पटाखा का कारोबार को संचालित करेगें अथवा शासन के नियमो के तहत व्यापार करेगें? यह सवाल का जवाब आने वाले दिनो में प्रशासनीक कार्यवाही से साफ तौर पर दिखाई दे देगा।