खरसिया

श्राद्ध महापर्व-पूर्वजों की याद में…

श्राद्ध महापर्व-पूर्वजों की याद में…

@पंडित कान्हा शास्त्री

उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥

श्राद्ध साधारण शब्दों में श्राद्ध का अर्थ अपने कुल, पितरों, देवों, ऋषियों अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है उसी को ‘श्राद्ध’ कहते हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन देख रहे हैं, इस जीवन का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। इस धर्म में, ऋषियों ने वर्ष में एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया, जिस पक्ष में हम अपने पितरेश्वरों का श्राद्ध, तर्पण, मुक्ति हेतु विशेष क्रिया संपन्न कर उन्हें अर्ध्य समर्पित करते हैं। यदि किसी कारण से उनकी आत्मा को मुक्ति प्रदान नहीं हुई है तो हम उनकी शांति के लिए विशिष्ट कर्म करते है जिसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं।

आत्मा और मनुष्य के बीच संबंध को जोड़ने वाला समय पितृपक्ष इस वर्ष 14 सितंबर से आरंभ हो रहा है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भाद्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि को प्रपोष्ठी श्राद्ध के दिन ऋषि मुनियों का तर्पण किया जाता है। इस दिन परलोक में रहने वाली पितरों की आत्मा अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए विदा होती है और आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि के दिन परिवार के बीच पहुंच जाती है। प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितरों की आत्मा धरती पर निवास करती है। यही वजह है कि इन 15 दिनों में मनुष्य को संयम पूर्वक रहना चाहिए। इन दिनों काम भाव को त्याग कर सदाचार का जीवन व्यतीत करना चाहिए। इससे पितरों को प्रसन्नता होती है।

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितर लोक को गई आत्म पितृ पक्ष में जब लौटकर आती है तो वह अपने परिवार द्वारा दिए गए पिंड, अन्न और जल को ग्रहण करके तृप्त होती है। इसी से पितरों की आत्मा को बल मिलता और वह अपने परिवार के लोगों का कल्याण कर पाते हैं। जिन्हें पितृ पक्ष में अन्न जल प्राप्त नहीं होता वह भूख, प्यास से व्याकुल होकर अमावस्या के दिन लौट जाते हैं। पितरों का निराश होकर लौटना परिवार में निराशा और कष्ट को बढ़ता है।

पुराण के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों के नाम से तर्पण करते हुए हर दिन पितरों को जल देना चाहिए। जिस तिथि को पिता की मृत्यु हुई हो उस दिन पितरों के नाम से श्राद्ध करना चाहिए और पूर्वजों की पूजा करके ब्रह्मणों को भोजन कराना चाहिए। पितरों के लिए बने भोजन को गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को भी देना चाहिए। इससे पितर जहां जिस रूप में होते हैं उन्हें उनका अंश मिल जाता है।

27 अगस्त को जिन लोगों की मृत्यु तिथि का पता नहीं हो, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। शस्त्र और विष द्वार जिनके प्राण चले गए हों उन सभी का श्राद्ध इस दिन किया जाएगा। इस दिन ही गज छाया योग बन रहा है। इस योग में अज्ञात तिथियों में मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करना शुभ माना गया है।

कठोपनिषद्, गरुड़ पुराण और मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि श्राद्ध पक्ष में अमावस्या के दिन सर्वपितृ श्राद्ध किया जाता है। इस दिन पूरे पितृ पक्ष में अगर किसी ने पितर का श्राद्ध नहीं किया तो इस दिन श्राद्ध कर सकता है। इस दिन पितर गण संध्या के समय अपने परिवार के लोगों के बीच से वापस अपने लोक की ओर विदा हो जाते हैं। इस वर्ष यह तिथि 28 सितंबर शनिवार को है। इस दिन शनि अमावस्या का भी संयोग बना है।

पितृ पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस वर्ष यह एकादशी 25 सितंबर को है। द्वादशी तिथि का क्षय होने की वजह से एकादशी और द्वादशी तिथि में जिनकी मृत्यु हुई है उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाएगा। पितृपक्ष की एकादशी में ब्राह्ण भोजन और व्रत रखकर इसका पुण्य पितरों को दिया जाए तो किन्हीं कारण से नरक में गए पितर भी पाप मुक्त होकर स्वर्ग में स्थान पा जाते हैं।

पितृ पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि को जीवित पुत्रिका व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह 22 सितंबर को है। इस दिन व्रत और श्राद्ध से वंश की वृद्धि होती है।

पितृ पक्ष की नवमी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु नवमी तिथि में हुई है। इसके अलावा इस दिन माता, दादी, परदादी जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके नाम से श्राद्ध किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों के अलावा माताओं के नाम से सुहागन स्त्रियों को भोजन करवाना चाहिए। श्राद्ध पक्ष की इस नवमी को मातृनवमी कहते हैं। इस वर्ष यह 23 सितंबर को है।

भरपूर श्रद्धा समर्पण के साथ अपने पितरों के प्रति तन, मन और धन से श्रद्धा, कृतज्ञता अर्पित करें और जीवन में आनंद पाएं श्राद्ध में हमारी अपरिमित श्रद्धा भावना से हमारे समस्त पितर तुष्ट हों, गति-मुक्ति को प्राप्त करें, यही कामना है। श्राद्ध का आनंद देने, दिलाने और पाने वाले सभी के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ

Show More

Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!