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असम के सोनितपुर में आया तेज भूकंप, रिक्टर पैमाने पर 6.4 मापी गई तीव्रता

नई दिल्ली  : पूर्वोत्तर भारत में आज सुबह भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं. ये भूकंप असम, मेघालय, उत्तर बंगाल में आया है. असम के सोनितपुर में भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.4 मापी गई है. सुबह 7:51 बजे पहला झटका महसूस हुआ, इसके बाद एक के बाद एक पांच बार भूंकप महसूस किया गया. फिलहाल अभी किसी व्यक्ति के हताहत होने की खबर नहीं है.

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘असम में तेज भूकंप आया. मैं सभी से सतर्क रहने का आग्रह करता हूं. मैं सभी जिलों से अपडेट ले रहा हूं.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के कुछ हिस्सों में भूकंप को लेकर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बात की. केंद्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. वहीं असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भूकंप से होने वाले नुकसान की कुछ तस्वीर शेयर की है.

क्यों आता है भूकंप

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वह स्थिर रहते हुए अपनी जगह तलाशती हैं इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाता है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर उंची और तेज लहरें उठती है जिसे सुनामी भी कहते हैं.

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. दरअसल भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है. मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है. जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है.

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