खरसिया । जिले के खरसिया क्षेत्र में दर्जनों ऐसे बड़ी संख्या में भट्ठेे संचालित…
जिले में यहां हैं अवैध ईंट भट्ठे
खरसिया, पुसौर, सरिया, बरमकेला, डोंगरीपाली, रायगढ़, लैलूंगा क्षेत्र में सैकड़ों ईंट भट्टे हैं। इसके अलावा खरसिया के एन एच 49सड़क के किनारे पर कई अन्य भट्टे संचालित हैं। हाथ भट्ठे बड़ी संख्या में संचालित हैं, जिसका रिकार्ड खनिज,पर्यावरण और पंचायत विभाग के पास भी नहीं है।
अवैध ईंट भट्ठे से क्या नुकसान
अवैध ईंट भट्ठों के कारण जहां एक ओर मिट्टी, पानी और रेत,कोयला,लकड़ी का दोहन हो रहा है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं जिला प्रशासन को हर साल अवैध रूप से लगाए गए ईंट भट्ठों के कारण लाखों करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। भट्ठा संचालकों द्वारा शासन की भूमि पर अवैध उत्खनन तो करते ही हैं साथ ही पर्यावरण को संतुलित करने वाले हरे-भरे पेड़ों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
सरपंच-सचिव नहीं दे रहे ध्यान
गांवों में संचालित होने वाले ईंट भट्ठों पर सरपंच सचिव भी मेहरबान है। दरअसल, इसके लिए पंचायत से भी अनुमति जरूरी होता है। संबंधित व्यक्ति द्वारा आवेदन करने पर पंचायत लीज जारी करता है। फिर ग्राम सभा में इसका अनुमोदन किया जाता है, लेकिन सरपंच सचिव ध्यान नहीं दे रहे हैं। पंचायत विभाग के अफसरों की मानें तो बिना पंचायत की अनुमति के कितने भट्टे चल रहे हैं, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है।
फ्लाई एश ईंट बनाकर निपट सकते हैं प्रदूषण से
अफसरों ने बताया कि बिजली तैयार करने के बाद कोयले का डस्ट फ्लाई एश है। पॉवर प्लांट व स्पंज आयरन, सीमेंट की फैक्ट्रियों से बेतहाशा निकल रहा है। जिसे फ्लाई एश से ईटा बनाने वाले ईटा बनाने के नाम से उद्योग घरानों से लेकर यत्र तत्र सर्वत्र फेंकने से… इससे नियमित संपर्क में रहने से दमे की शिकायत हो सकती है। इसे देखते हुए इसके प्रोसेसिंग को लेकर शासन ने पर्यावरण का खतरा मानते हुए। इसकी ईंट की अनिवार्यता का आदेश जारी किया। इसमें 60 फीसदी तक सिलिका (रेत) व 40 फीसदी तक कैल्शियम ऑक्साइड, एल्युमिनियम आक्साइड सहित अन्य तत्व होते हैं।
लाल ईंट महंगी भी है इसकी डिमांड भी अधिक
लाल ईंट महंगा होने के बाद भी इसकी डिमांड अधिक है। वजह है कि इसका उपयोग हो रहा। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में 6 से 7 रुपए प्रति ईंट उपलब्ध है। वहीं फ्लाई एश के मामले में छोटा ईंट 8 इंच साइज का 3 रुपए व 9 इंच साइज का 4 रुपए में उपलब्ध है। इसके बाद भी लाल ईंट की डिमांड जिले में ज्यादा है। ग्राम पंचायतों के लगभग सभी काम में इसी ईंट का उपयोग किया जा रहा है।
जहाँ मर्जी फ्लाई एश डंप करो रायगढ़ पर्यावरण चिर निंद्रा में जो है…