दिल्ली

कोयले के क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल कदम

खनन के दौरान, भूजल स्तर और अंतर्निहित जलवाही स्तर प्रभावित हो सकते हैं और पानी खदान की गहराई में एकत्र हो जाता है। कोयला कंपनियों द्वारा किए जा रहे जल प्रदूषण से जुड़े नियंत्रण के उपाय इस प्रकार हैं-

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i. खदान से पानी निकालने के लिए, पंप से बाहर निकाले गए खदान के पानी को खदान की गहराई में और साथ ही सतह पर तलछट तालाब/ सेटलिंग टैंक में तलछट के माध्यम से उपचारित किया जाता है, यदि कोई हो।

ii. खदान के पानी के साथ-साथ कार्यशाला के अपशिष्ट (उपचार के बाद) की गुणवत्ता की नियमित रूप से निगरानी की जाती है, एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला के माध्यम से मानदंडों के अनुसार परीक्षण किया जाता है और पुन: उपयोग से पहले और स्थानीय आबादी में छोड़ने से पहले उपचारित किया जाता है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान, कोयला/ लिग्नाइट से संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा सामुदायिक उद्देश्यों (घरेलू और सिंचाई) के लिए 18,513 लाख किलो लीटर (एलकेएल) उपचारित खदान जल की पर्याप्त मात्रा की पेशकश की गई है, जैसा कि नीचे दिया गया है:

सार्वजनिक उपक्रम का नाम

घरेलूपेय (एलकेएल)

 सिंचाई (एलकेएल)

कुल (एलकेएल)

सीआईएल

6309

7496

13805

एनएलसीआईएल

613

1161

1774

एससीसीएल

88

 2846

2934

कुल योग

7010

 11503

18513

कोयला/ लिग्नाइट से संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा समुदायों के लिए लाभकारी उपयोग को लेकर कोयले से समृद्ध राज्यों की राज्य सरकारों को उपचारित खदान जल की पेशकश भी की जाती है।

कोयला/ लिग्नाइट से संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा किए गए पर्यावरण के अनुकूल अन्य उपाय में कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास जैव-पुनर्ग्रहण/ वृक्षारोपण, इको-पार्क/ खदान पर्यटन स्थलों का विकास, ओबी प्रसंस्करण संयंत्रों और एम-सैंड संयंत्रों की स्थापना करके ओवरबर्डन (ओबी) का लाभकारी उपयोग और विभिन्न ऊर्जा दक्षता उपाय जैसे कि पारंपरिक लाइटों को एलईडी लाइटों से बदलना, ऊर्जा कुशल एयर कंडीशनर, सुपर पंखे लगाना, इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल, और कुशल वॉटर हीटर, पंपों के लिए ऊर्जा कुशल मोटर और स्ट्रीट लाइटों में ऑटो टाइमर आदि हरित पहल शामिल हैं।

केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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